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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान प्रणाली अनुप्रयोगों में पीकेआई को समर्थ बनाने पर रिपोर्ट जारी

7 फरवरी 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान प्रणाली अनुप्रयोगों में
पीकेआई को समर्थ बनाने पर रिपोर्ट जारी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज आमजनता की टिप्पणियों के लिए अपनी साइट पर भुगतान प्रणाली अनुप्रयोगों में पीकेआई को समर्थ बनाने पर तकनीकी समिति की रिपोर्ट जारी की है। टिप्पणियां 28 फरवरी  2014 को या इससे पहले ईमेल से या प्रभारी  मुख्य महाप्रबंधक, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 14वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को डाक द्वारा भेजी जा सकती हैं।

इस तथ्य से अवगत होते हुए कि वर्ष 2012-13 में गैर-पीकेआई समर्थित भुगतान प्रणालियों जैसेकि समाशोधन (एमआईसीआर/गैर-एमआईसीआर), इलैक्‍ट्रानिक क्रेडिट प्रणाली, क्रेडिट कार्डों और डेबिट कार्डों का मात्रात्‍मक दृष्टि से 75 प्रतिशत किंतु मूल्‍य की दृष्टि से केवल 6.3 प्रतिशत योगदान रहा, दल ने सुझाव दिया है कि देश में सुरक्षित भुगतान प्रणाली और विधिक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पीकेआई जैसी डिजीटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाए।

यह रिपोर्ट अन्‍य बातों के साथ-साथ विद्यमान भुगतान प्रणाली अनुप्रयोगों में सुरक्षा विशेषताओं और सभी भुगतान प्रणाली अनुप्रयोगों में पीकेआई लागू करने की व्यवहार्यता पर प्रकाश डालती है। दल ने यह भी सिफारिश की है कि बैंक प्रमाणीकरण और लेनदेन सत्‍यापन के लिए चरणबद्ध तरीके में पीकेआई कार्यान्वित करें। 

पृष्ठभूमि

भुगतान प्रणालियां विभिन्न वित्‍तीय जोखिमों के अधीन हैं जैसेकि ऋण जोखिम ,चलनिधि जोखिम, प्रणालीगत जोखिम, परिचालन जोखिम, विधिक जोखिम। जैसे-जैसे ग्राहक अपनी लेनदेन आवश्यकताओं के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक भुगतान उत्पादों और सुपुर्दगी चैनेलों को अधिक अपनाएंगे, वैसे ही यह देखना आवश्‍यक हो जाएगा कि उनकी सुरक्षा और बचाव के उपाय भी मजबूत हों। सुरक्षा संबंधी किसी पहलू के कारण हुई धोखाधड़ी से इलैक्‍ट्रानिक भुगतान के साधनों के उपयोग में जनता का विश्‍वास कम हो जाएगा जिससे उनके प्रयोग पर असर पड़ेगा। सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक उपाय करने होंगे क्योंकि इस प्रकार के आघातों की संख्‍या और जटिलता में वृद्धि हो रही। इस पृष्‍ठभूमि में भारतीय रिज़र्व बैंक ने सितंबर 2013 में एक दल का गठन किया था जो भारत में भुगतान प्रणालियों के लिए पीकेआई समर्थ बनाने के संबंध में एक दृष्टिकोण पत्र तैयार करेगा, इस दल में बैंकों (भारतीय स्‍टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक), बैंकिंग प्रौद्योगिकी विकास और अनुसंधान संस्‍थान-प्रमाणीकरण प्राधिकार (आईडीआरबीटी-सीए), प्रमाणीकरण प्राधिकार नियंत्रक (सीसीए), नई दिल्‍ली और भारतीय रिज़र्व बैंक [(सूचना प्रौद्योगिकी विभाग) (डीआईटी), भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस), सरकार और बैंक लेखा विभाग (डीजीबीए) - कोर बैंकिंग सोल्‍यूशन (सीबीएस) और मुख्‍य सूचना सुरक्षा अधिकारी (सीआईएसओ)] के सदस्य शामिल होंगे।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1593

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