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भारतीय रिज़र्व बैंक ने "भारत में परिवहन मूलभूत सुविधा और सेवा वित्तपोषण " पर अध्ययन जारी किया

05 मार्च 2009

 

भारतीय रिज़र्व बैंक ने "भारत में परिवहन मूलभूत सुविधा और सेवा वित्तपोषण "
 पर अध्ययन जारी किया

 
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज "भारत में परिवहन मूलभूत सुविधा और सेवा वित्तपोषण " अध्ययन प्रकाशित किया जो परिवहन क्षेत्र में मूलभूत सुविधा के वित्तपोषण के लिए विभिन्न विकल्पों का ध्यान रखेगा और विवेकपूर्ण सीमा के भीतर बाज़ार आधारित वित्तपोषण के लिए आग्रह करेगा।
 

इस अध्ययन के लेखक रिज़र्व बैंक के अनुसंधान स्टाफ सदस्य (डॉ. सुनंदो राय) के साथ प्रो. एस.श्रीरामन, मुंबई विश्वविद्यालय ने सार्वजनिक क्षेत्र से निधि सहायता के साथ-साथ परिवहन प्रणाली के रखरखाव के लिए पारंपरिक ॉााटतों की कमज़ोरी को देखते हुए नए निवेश के वित्तपोषण हेतु निधियों के वैकल्पिक ॉााटतों तक पहुँच पर विचार करने की आवश्यकता का आग्रह करते हैं। यह अध्ययन रिज़र्व बैंक के विकास अनुसंधान समूह के तत्वाधान में किया गया था।

 

सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा अधिकांश रूप से उपलब्ध कराई गई वर्तमान परिवहन मूलभूत सुविधाओं से संसाधन अंतर का समाधान करने के लिए यह अध्ययन निम्नलिखित प्रस्ताव करता है:

 
• मूलभूत सुविधा क्षेत्रों के संसाधन आबंटन पर विरूपित मूल्यांकन के प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए किफायती रूप से सक्षम स्तरों के लिए उपयोगकर्ता प्रभारों (चुँगी) का निर्धारण।
 
• एक समुचित प्रशुल्क रणनीति के साथ-साथ दक्षता बढ़ाने के द्वारा विद्यमान मूलभूत सुविधा और सेवाओं का बेहतर उपयोग।
 
• सड़क क्षेत्र के लिए एक रणनीति निर्दिष्ट करना क्योंकि ऐसी किसी योजना की सर्वाधिक आकर्षक विशेषता सेवाओं (जैसा कि परिचालन लागतों द्वारा दर्शाया गया है) और उपयोगकर्ता प्रभारों (भुगतान करने की इच्छा) की मात्रा और गुणवत्ता का संयोजन करना है।
 

अतिरिक्त संसाधन संग्रहण के लिए यह अध्ययन निम्नलिखित सुझाव देता है;

 
• आवश्यक/विवेकपूर्ण मानदण्डों का अनुपालन करते हुए जहाँ तक संभव हो बाज़ार आधारित वित्तपोषण पर ध्यान आकर्षित करना।
 
• सार्वजनिक-निजी सहभागिता को प्रोत्साहित करना।
 
• सरकारी गारंटियों के माध्यम से निजी मूलभूत सुविधा को सहायता देना। लेकिन सरकार गारंटियाँ जारी करने में हामीदारी के प्रत्याशित मूल्य पर अवश्य विचार करे।
 
• मूलभूत सुविधा सहायता के लिए चयनित वित्तीय व्यवस्था अन्य निवेशों से संसाधनों के केवल विपथन की अपेक्षा निवेश के लिए महत्तम घरेलू बचत को प्रोत्साहित करे।
 
• वाणिज्यिक बैंक "थोक वित्तपोषण/बैंकिंग" की भूमिका अदा करें जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ "खुदरा वित्तपोषण/बैंकिंग" की भूमिका अदा करें।
 
• वित्तीय सहायता देनेवाली एजेंसियाँ (एक अवधि के दौरान) किसी फर्म अथवा किसी संगठन/सहकारी रूप में ट्रक परिचालकों को ऋण देने के लिए पूर्वापेक्षा के रूप में एक अर्थक्षम साधन और अपेक्षित मूलभूत सुविधा के साथ परिचालनों की अर्थक्षमता पर आग्रह करें। अंतरण वित्तपोषण जैसे वित्तीय नवोन्मेषीकरणों को परिवहन परियोजना वित्तपोषण के संदर्भ में प्रोत्साहित किया जाए।
 
• संविदाकृत बचत लिखतों के निवेश मानदण्डों को उदारीकृत किया जाए। ऐसी निधियों के लिए मूलभूत सुविधा में निजी सहभागिता को प्रोत्साहित करने, बज़ट और प्रबंध देयता में कमी करने तथा प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र (विशेषत: मूलभूत सुविधा क्षेत्र) की संस्थाओं के विनिवेश के एक सुनियोजित कार्यक्रम के माध्यम से माँग का सृजन किया जाए। निधियों की ऐसी आपूर्ति और इसके लिए माँग भी घरेलू पूँजी बाज़ार के विकास में योगदान कर सकती है।
 

[टिप्पणी : विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन रिज़र्व बैंक के आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग में वर्तमान रूचि के विषयों पर एक सुदृढ़ विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य आधार द्वारा समर्थित नीति उन्मुख प्रभावी अनुसंधान के लिए किया गया था। इस अध्ययन में व्यक्त विचार इसके लेखकों के हैं और वे रिज़र्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाते हैं।

 
 
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/1445

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