भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देशों के प्रारूप पर टिप्पणियां मांगी - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देशों के प्रारूप पर टिप्पणियां मांगी
7 अगस्त 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देशों के प्रारूप पर टिप्पणियां मांगी है। फुटकर भुगतान लेनदेन में बिल भुगतान एक महत्वपूर्ण घटक है। देश के प्रमुख 20 शहरों में प्रति वर्ष ₹ 6000 बिलियन से अधिक राशि के लिए 30,800 मिलियन से अधिक बिल तैयार किए जाते है। यद्यपि भुगतान के विविध प्रकार स्वीकार किए जाते हैं, विशेषत: बिल बनाने वाले के खुद के वसूली केंद्र पर भुगतान मुख्यत: नकद और चेक द्वारा ही किया जाता है। जबकि विद्यमान प्रणालियां सुरक्षित और सक्षम है, बिल भुगतान प्रक्रियाओं में अंतरपरिचालन के अभाव के साथ-साथ वे ग्राहकों की इलैक्ट्रॉनिक भुगतान के विविध प्रकारों तक पहुंच न होने के कारण ग्राहकों/उपभोक्ताओं के विविध प्रकार के ‘‘बिलों’’ जिसमें उपयोगिता बिल, विद्यालयों/विश्वविद्यालयों के शुल्क, नगरपालिका करों सहित भुगतान संबंधी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती है। इसीलिए देश में एक समेकित बिल भुगतान प्रणाली की आवश्यकता है जो अंतरपरिचालन योग्य और ग्राहकों तक पहुंच योग्य हों और एजेंटों के नेटवर्क विविध भुगतान प्रकारों के माध्यम से ग्राहकों को भुगतान की तुरंत पुष्टि उपलब्ध कराने में सक्षम हों। यह बिल भुगतान प्रणाली वर्तमान प्रणाली के लिए सक्षम और किफायती विकल्प हो जिससे देश में बिल भुगतान के लिए मानक स्थापित किए जा सकें और ग्राहकों के विश्वास और अनुभव में वृद्धि हो। आज वेबसाईट पर डाला गया दिशानिर्देशों का प्रारूप, बीबीपीएस के परिचालन संबंधी मूलभूत नियम और आवश्यकताओं को रेखांकित करता है और साथ ही बीबीपीएस का भाग बनने के लिए इच्छुक संस्थाओं हेतु पात्रता मानदंडों, निपटान मॉडल और ग्राहक शिकायत निवारण मानक, भूमिका एवं जिम्मेदारियां एवं कार्यक्षेत्र को निर्धारित करता है। विशिष्ट और कार्रवाई योग्य टिप्पणियां ई-मेल अथवा डाक द्वारा प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 14वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को 5 सितंबर 2014 तक प्रेषित की जाएं। दिशानिर्देश रिज़र्व बैंक की वेबसाईट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है। पृष्ठभूमि मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा में रिज़र्व बैंक ने घोषित किया था कि भारत में इलैक्ट्रॉनिक जीआईआरओ भुगतान प्रणालियों के कार्यान्वयन संबंधी तौर-तरीकों को निर्धारित करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। 2012-15 के लिए भुगतान प्रणाली विज़न में भी विविधतापूर्ण एवं जटिल बिलों के साथ व्यापक बिल भुगतान बाजार और राष्ट्रीय/क्षेत्रीय सहभागियों और निजी/सरकारी संस्थाओं के बीच विविधतापूर्ण बिल वसूली बाजार संरचना पर ध्यान केंद्रित किया गया था। साथ ही, छोटे सहभागियों के लिए राष्ट्रीय सुविधा प्राप्त करने हेतु कोई संरचनात्मक अवसर उपलब्ध नहीं थे। तदनुसार, श्री जी.पद्मनाभन, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में देश में इलैक्ट्रॉनिक जीआईआरओ भुगतान प्रणाली के कार्यान्वयन की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया। समिति की सिफारिशों के आधार पर देशभर में; ग्राहकों द्वारा बिल बनानेवाले के भौगोलिक क्षेत्र का विचार किए बगैर बिलों के भुगतान के लिए एक अखिल भारतीय संपर्क बिंदु के सृजन हेतु उचित ढांचे के निर्धारण के उद्देश्य से प्रोफेसर उमेश बेल्लूर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बाम्बे की अध्यक्षता में जीआईआरओ परामर्शदात्री दल (जीएजी) का गठन किया गया। जीएजी ने बिल भुगतान उद्योग के विविध स्टेकधारकों/संस्थानों से चर्चा की और 20 मार्च 2014 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे अभिमत के लिए आरबीआई वेबसाईट पर प्रकाशित किया गया। अपनी रिपोर्ट में, जीएजी ने देशभर में बिल भुगतान प्रणाली के लिए श्रेणीगत संरचना की सिफारिश की जहां प्रस्तावित भारत बिल भुगतान प्रणाली प्राधिकृत मानक निर्धारित करने वाली संख्या होगी और प्रस्तावित भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयां (बीबीपीओयू) प्राधिकृत परिचालन इकाइयां होंगी जो बीबीपीएस द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार कार्य करेंगी। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/278 |