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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ोदा के लिए पर्यवेक्षी महाविद्यालय स्थापित किए

4 फरवरी 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ोदा के लिए
पर्यवेक्षी महाविद्यालय स्थापित किए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ोदा के लिए मुंबई में क्रमशः 3 और 4 फरवरी को पर्यवेक्षी महाविद्यालय संघटित किए। डॉ. के.सी. चक्रवर्ती, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने महाविद्यालयों का उद्घाटन किया।

डॉ. चक्रवर्ती ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ भारतीय बैंकों ने विदेशी अधिकार क्षेत्रों में लोगों के जीवन और उद्यमों पर असर डालना प्रारंभ किया है और मेजबान देशों की अर्थव्यवस्था के लिए कुछ महत्व प्राप्त किया है। अतः रिज़र्व बैंक पर अपने देश का पर्यवेक्षक होने के कारण काफी जिम्मेदारी है जो पर्यवेक्षी महाविद्यालय स्थापित करने में पराकाष्ठा पर पहुंच गई, इनके माध्यम से पर्यवेक्षी सूचना और अनुभव का विनिमय आसान हो जाता है। 

3 और 4 फरवरी को आयोजित दिनभर के कार्यक्रमों के दौरान मेजबान और अपने देश के पर्यवेक्षकों ने पारस्परिक महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा की और मेजबान पर्यवेक्षकों ने अपने-अपने देशों में बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ोदा की उपस्थिति और परिचालन पर रिज़र्व बैंक के साथ अपने विचार साझे किए।  बैंक ऑफ इंडिया की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्रीमती वी. आर. अय्यर और बैंक ऑफ बड़ोदा के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री एस.एस. मुंद्रा ने संबंधित महाविद्यालयों में सामान्य रूप से अपने बैंकों और विशेष रूप से अपनी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति पर प्रस्तुतिकरण किया तथा मेजबान पर्यवेक्षकों से प्रश्न पूछे। श्री जी. गोपालकृष्ण, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक ने दोनों महाविद्यालयों की चर्चाओं की अध्यक्षता की।

आठ अधिकार क्षेत्रों से तेरह पर्यवेक्षकों ने बैंक ऑफ इंडिया के लिए पर्यवेक्षी महाविद्यालय में भाग लिया। सात विदेशी पर्यवेक्षी एजेंसियों से बारह पर्यवेक्षकों ने बैंक ऑफ बड़ोदा के लिए पर्यवेक्षी महाविद्यालय में भाग लिया।

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विदेशों में भारतीय बैंकों के सीमापार परिचालन के पर्यवेक्षण के भाग के रूप में उन बैंकों के लिए पर्यवेक्षी महाविद्यालय स्थापित किए हैं जिनकी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति अच्छी है। पर्यवेक्षी महाविद्यालय के मुख्य उद्देश्य पर्यवेक्षकों के बीच सूचना विनिमय और सहयोग बढ़ाना, बैंकिंग समूह की जोखिम प्रोफाइल को समझने में सुधार करना और इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय रूप से अधिक सक्रिय बैंकों के अधिक प्रभावी पर्यवेक्षण को सुगम बनाना है। रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2012 में आईसीआईसीआई और भारतीय स्टेट बैंक के लिए पर्यवेक्षी महाविद्यालय स्थापित किए थे। यह अपेक्षित है कि महाविद्यालयों से पर्यवेक्षकों के बीच पारस्परिक विश्वास और सहयोग बढ़ेगा।

अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1559

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