रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई
30 मई 2006
रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 47 (1) (ख) के उपबंधों के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा पर 5.00 लाख रुपये (पांच लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
बैंक के वार्षिक वित्तीय निरीक्षणों के दौरान यह पाया गया कि उक्त बैंक ने आंतरिक और बाह्य देयताएं दर्शाने वाली मदों को अंतर-कार्यालय (अंतर- शाखा) खातों से घटा दिया था, जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल 1999 से मार्च 2002 तक की अवधि के दौरान निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) की गणना के प्रयोजन हेतु बाह्य देयताओं तथा साीआरआर/एसएलआर बनाए रखने का कम अनुमान लगाया गया। यह कार्य बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 के उपबंधों का उल्लंघन था।
जब उक्त बैंक को संबंधित अवधि के लिए संशोधित विवरणियाँ प्रस्तुत करने के लिए सूचित किया गया। बैंक ने संबंधित अवधि के दौरान प्रचलित लेखांकन प्रणाली की अपर्याप्तता की मौलिक कठिनाई का हवाला देकर संशोधित विवरणियां प्रस्तुत करने से छूट मांगी।
रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी की जिसके उत्तर में उक्त बैंक ने अपना लिखित उत्तर प्रस्तुत किया। बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने रिज़र्व बैंक से व्यक्तिगत सुनवाई की मांग की, जिसका उन्हें मौका दिया गया।
बैंक की प्रस्तुतियों की सावधानीपूर्वक जांच करने पर रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उपर्युक्त उल्लंघन सिद्ध हुआ है और तदनुसार बैंक को दंडित किया गया।
स्मरण रहे कि अक्तूबर 2004 में बैंकों की पारदर्शिता में सुधार लाने के उपायों के एक अंग के रूप में रिज़र्व बैंक ने अपना निर्णय घोषित किया था कि वह बैंक को सूचित करने और उनसे स्पष्टीकरण मांगने और साथ ही बैंक को अपनी सफाई देने का उचित अवसर देने की उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद बैंकों पर लगाए गये दंडों से संबंधित जानकारी पब्लिक डोमेन पर प्रकट करेगा।
अल्पना किल्लवाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी 2005-2006/1544