रिज़र्व बैंक द्वारा केनरा बैंक के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई
12 जून 2006
रिज़र्व बैंक द्वारा केनरा बैंक के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 47 क (1) (ख) के उपबंधों के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए केनरा बैंक पर 5.00 लाख रुपये (पांच लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है ।
यह पाया गया था कि उक्त बैंक नकदी प्रारक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) /सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने के प्रयोजन के लिए तथा मांग और मीयादी देयताओं (डीटीएल)/निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) की गणना हेतु अंतर-शाखा खाते के अंतर्गत बाह्य देयताओं को गिनने के लिए एक अनुमान पद्धति का प्रयोग करता था । इस बैंक ने केवल सितंबर 2005 में अंतर-शाखा खाते के अंतर्गत बाह्य देयताओं को गिनने की एक उचित पद्धति को संशोधित करके लागू किया था । इसके अलावा, जब संबंधित अवधि के लिए संशोधिंत फार्म ए/फॉर्म-ङघ्घ्घ् विवरणियां प्रस्तुत करने के लिए सूचित किया गया तो उक्त बैंक ने आंकड़ों के उपलब्ध न होने का कारण देकर संशोधित विवरणियां संकलित करने में अपनी असमर्थता बतायी ।
रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक को कारण बताओ सूचना जारी की । इस कारण बताओ सूचना के उत्तर में उक्त बैंक ने अपना लिखित उत्तर प्रस्तुत किया था तथा उनके अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने रिज़र्व बैंक के साथ व्यक्तिगत सुनवायी मांगी थी, जो कि उन्हें प्रदान की गई ।
बैंक के प्रस्तुतीकरणों की सावधानीपूर्वक जांच करने पर रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त उल्लंघन सिद्ध होता है तथा तदनुसार दंड लगाया गया।
स्मरण रहे कि अक्तूबर 2004 में बैंकों की पारदर्शिता को सुधारने के उपायों के एक भाग के रूप में रिज़र्व बैंक ने, बैंक को सूचित करने की उचित प्रक्रिया के बाद और उनसे स्पष्टीकरण मांगने तथा बैंक को अपनी सफाई देने का अवसर भी देने के बाद बैंकों पर लगाए गये दंडों से संबंधित जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रकट करने का अपना निर्णय घोषित किया था।
अल्पना किल्लावाला
मुख्यमहाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/1612