निर्यात ऋण की समीक्षा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक कार्य दल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की - आरबीआई - Reserve Bank of India
निर्यात ऋण की समीक्षा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक कार्य दल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की
13 जून, 2005
निर्यात ऋण की समीक्षा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक कार्य दल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की
निर्यात ऋण से संबंधित विभिन्न मुों िकी समीक्षा के लिए गठित भारतीय रिज़र्व बैंक के एक कार्यदल ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। कार्य दल ने, निर्यात संवर्धन संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत की गयी बातों, विचार विमर्श और आंकड़ों के अध्ययन और उसे उपलब्ध करायी गयी प्रासंगिक जानकारी के आधार पर यह सिफारिश की है कि रुपया निर्यात ऋण के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित वर्तमान ब्याज दर को छोटे और मझोले निर्यातकों के हित में फिलहाल जारी रखा जाए। किन्तु, विदेशी मुद्रा में निर्यात ऋण के संबंध में, कार्य दल ने सिफारिश की हैं कि ब्याज दर में 25 आधार अंक (अर्थात्, लीबॉर + 1.00% पहले स्लैब के लिए और अतिरिक्त 2% दूसरे स्लैब के लिए) की वफ्द्धि की जाए। यह इस स्पष्ट शर्त के अधीन होगा कि बैंक ‘आउट ऑफ पॉकेट’ के अंतर्गत किये गये खर्च की वसूली के अलावा किसी भी रूप में, किसी भी नाम में अन्य कोई प्रभार, जैसे सेवा प्रभार, प्रबंध प्रभार आदि वसूल नहीं करेंगे। कार्य दल ने इसके अलावा इस बात पर भी ध्यान दिलाया है कि चूंकि, रिज़र्व बैंक उच्चतम दर निर्धारित करता है और बैंक निधियों की लागत, मार्जिन अपेक्षाओं, जोखिम संभावना आदि को ध्यान में रखते हुए उससे कम दर पर ब्याज लेने के लिए स्वतंत्र हैं, बैंकों को रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित उच्चतम दरों से कम दर पर निर्यात ऋण देने का प्रयास करना चाहिए।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अप्रैल 2005 में श्री आनंद सिन्हा, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, मुंबई की अध्यक्षता में निर्यात ऋण की समीक्षा करने हेतु एक कार्य दल का गठन किया था। उक्त कार्यदल में भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, दि फेडरल बैंक लि., फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स ऑर्गनाइजेशन (एफआइईओ), इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) और ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज (एआइएआइ) के प्रतिनिधि तथा रिज़र्व बैंक के मौद्रिक नीति विभाग के एक निदेशक भी शामिल थे। कार्य दल द्वारा समीक्षा के लिए निम्नलिखित विषय थे:
- निर्यात ऋण की वर्तमान प्रक्रिया;
- निर्यातकों के संतुष्टि सर्वेक्षण पर की गई कार्रवाई;
- गोल्ड काड़ योजना;
- अप्रसिद्ध (नॉन स्टार) निर्यातकों को निर्यात ऋण;
- निर्यात ऋण की वर्तमान ब्याज विनियमावली।
कार्य दल की महत्वपूर्ण सिफारिशें इस प्रकार हैं :
- बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कि निर्यात ऋण के लिए विशेषकर छोटे और मझोले निर्यातकों से प्राप्त होनेवाले आवेदनों को निर्धारित समय सीमा में निपटाया जा सके, एक कारगर नियंत्रण तथा सूचना प्रणाली लागू करनी चाहिए।
- बैंकों द्वारा दी गई सेवाओं से निर्यातकों की संतुष्टि के संबंध में किसी एक बाहरी एजेंसी द्वारा एक नया सर्वेक्षण कराने के लिए रिज़र्व बैंक विचार करे।
- चूंकि बैंकों द्वारा जारी किए गए गोल्ड कार्डों की संख्या कम है, बैंकों को यह सूचित किया जाए कि वे सभी पात्र निर्यातकों, विशेषत: एसएमई निर्यातकों को काड़ जारी करने की प्रक्रिया में अधिक तेजी लाएं और यह सुनिश्चित करें कि यह प्रक्रिया तीन महीनों के भीतर पूर्ण हो जाती है।
- एसएमई निर्यातकों की ऋण से संबंधित समस्याओं पर ध्यान देने के लिए बैंकों को क्षेत्रीय/आंचलिक कार्यालयों में और अधिक निर्यात ऋण वाली शाखाओं में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए।
- बैंकों को विदेशी मुद्रा के गैर-निर्यातक उधारकर्ताओं के मुकाबले निर्यातकों की विदेशी मुद्रा निर्यात ऋण आवश्यकताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- उधार दी गई राशि से संबंधित अन्य सेवा प्रभार लगाना उचित नहीं है अत: बैंकों को ऐसा नहीं करना चाहिए।
- विदेशी उधार राशियों में से पूरे किए गए विदेशी मुद्रा के निर्यात ऋण में पर्याप्त वफ्द्धि को ध्यान में रखते हुए यह देखने की आवश्यकता है कि क्या एक ऐसी विवेकपूर्ण सीमा निर्धारित की जा सकती है जिस तक बैंकों को इस उेश्यि के लिए विदेश से उधार लेने की अनुमति दी जाए।
कार्य दल की रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है। सिफारिशों के संबंध में अभिमत cgmicdbodco@rbi.org.in को ई-मेल द्वारा अथवा 022-22183785 फैक्स पर 10 जुलाई 2005 तक भेजे जा सकते हैं।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2004-2005/1309