भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 01/2023: भारत में क्षेत्रवार स्टॉक मूल्य सूचकांकों पर कच्चे तेल की कीमतों के संक्रामक प्रभावों को मापना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 01/2023: भारत में क्षेत्रवार स्टॉक मूल्य सूचकांकों पर कच्चे तेल की कीमतों के संक्रामक प्रभावों को मापना
12 जनवरी 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 01/2023: भारत में क्षेत्रवार स्टॉक मूल्य सूचकांकों पर कच्चे तेल की कीमतों भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला1 के अंतर्गत "भारत में क्षेत्रवार स्टॉक मूल्य सूचकांकों पर कच्चे तेल की कीमतों के संक्रामक प्रभावों को मापना" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर जारी किया। पेपर का सह-लेखन मधुचंदा साहू, अरविंद कुमार श्रीवास्तव, जेसिका मारिया एंथनी और थांगसन सोन्ना ने किया है। भारत जैसी तेल आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्था के लिए क्षेत्रवार स्टॉक सूचकांकों पर वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में अत्यधिक परिवर्तन के संक्रामक प्रभावों की गहरी समझ की आवश्यकता की अत्युक्ति नहीं की जा सकती है। चूंकि भारत के लिए क्षेत्रवार स्टॉक स्तरों पर वैश्विक कच्चे तेल की कीमत की संक्रामकता पर अध्ययन कम हैं, इस पेपर से साहित्य और विषय की समझ दोनों में योगदान की आशा है। पेपर अतिरिक्त प्रतिलाभ या अधिकता, जिसे थ्रिशोल्ड से ऊपर और नीचे के विचलन के रूप में परिभाषित किया गया है, का आकलन करने के लिए सामान्यीकृत पारेटो वितरण (जीपीडी) का उपयोग करता है। बहुपदी लॉगिट मॉडल (एमएनएल) ढांचे का उपयोग जनवरी 2007 से दिसंबर 2020 की अवधि के दौरान 10 क्षेत्रवार भारतीय स्टॉकों और वैश्विक कच्चे तेल के प्रतिलाभ के लिए उसी दिन होने वाली समसामयिक अधिकता या सह-अधिकता की संभावना का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। साहित्य सह-अधिकता की इस संभावना को संक्रामक प्रभाव के रूप में परिभाषित करता है। पेपर से प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1538 1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |