भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर संख्या 02/2023: भारत में मुद्रास्फीति के सामान्येतर जोखिम - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर संख्या 02/2023: भारत में मुद्रास्फीति के सामान्येतर जोखिम
12 जनवरी 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर संख्या 02/2023: भारत में मुद्रास्फीति के सामान्येतर जोखिम भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला1 के अंतर्गत "भारत में मुद्रास्फीति के सामान्येतर जोखिम" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर जारी किया। पेपर का सह-लेखन सीलु मुदुली और हिमानी शेखर ने किया है। यह पेपर मात्रात्मक प्रतिगमन ढांचे का उपयोग करके भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के ऊधर्वगामी और अधोगामी जोखिमों का अनुमान लगाता है। यह पेपर मुद्रास्फीति सामान्येतर जोखिमों को प्रभावित करने में लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (एफ़आईटी) व्यवस्था की भूमिका के अलावा, विभिन्न घरेलू और वैश्विक समष्टि आर्थिक कारकों के प्रभाव की जांच करता है। घरेलू आय, पारिवारिक मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं, बढ़ी हुई वैश्विक पण्यों की कीमतें - ईंधन (यथा कच्चा तेल) और गैर-ईंधन दोनों में वृद्धि और आसान वित्तीय स्थितियाँ, सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति के लिए ऊधर्वगामी जोखिम उत्पन्न करती हैं। मुद्रास्फीति के लिए निचले और ऊपरी दोनों जोखिम, एफआईटी अवधि में स्थिर हो गए हैं। पेपर का निष्कर्ष है कि समष्टि आर्थिक कारक, भारत के 2 से 6 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य बैंड के सामान्येतर जोखिमों को यथोचित रूप से अभिग्रहण करने में मदद करते हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1539 1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |