भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 04/2019: भारत में समष्टि अर्थव्यवस्था पूर्वानुमान: क्या मशीनी अध्ययन में बेहतर पूर्वानुमान की चाबी है? - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 04/2019: भारत में समष्टि अर्थव्यवस्था पूर्वानुमान: क्या मशीनी अध्ययन में बेहतर पूर्वानुमान की चाबी है?
3 सितंबर 2019 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 04/2019: भारत में समष्टि अर्थव्यवस्था पूर्वानुमान: क्या मशीनी भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के अंतर्गत “भारत में समष्टि अर्थव्यवस्था पूर्वानुमान: क्या मशीनी अध्ययन में बेहतर पूर्वानुमान की चाबी है?” शीर्षक से वर्किंग पेपर उपलब्ध कराया है। यह पेपर भानु प्रताप और शोभोन सेनगुप्ता द्वारा लिखा गया है। यह पेपर मशीनी अध्ययन (एमएल) के प्रतिमान की समीक्षा करता है और इसे भारत के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान लगाने के लिए लागू किया जाता है। यह अध्ययन विभिन्न मशीनी अध्ययन कलन विधि (अल्गोरिद्म) का प्रशिक्षण प्रदान करता है और हेडलाइन, भोजन, ईंधन मुद्रास्फीति की स्थिति और प्रमुख उपायों के पूर्वानुमान में मानक सांख्यिकीय मॉडल के परिप्रेक्ष में उनका परीक्षण करता है। पेपर के मुख्य निष्कर्ष बताते हैं कि आम तौर पर एमएल कार्यप्रणालियाँ मानक सांख्यिकीय मॉडल से बेहतर हैं। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि साधारण औसत-आधारित पूर्वानुमान संयोजन आमतौर पर सभी व्यक्तिगत मॉडलों से बेहतर होते हैं। सरल भार योजना भी जटिल भार विधि को बेहतर बनाती है। इष्टतम संयोजन पद्धति पर बहस के बावजूद, ये परिणाम बताते हैं कि बेहतर पूर्वानुमान प्राप्त करने के लिए पूर्वानुमान संयोजन एक अच्छा अभ्यास है । यह पेपर अपने हेडलाइन मुद्रास्फीति के सीधे पूर्वानुमानों की तुलना अलग से पूर्वानुमानित इसके घटकों से करता है, और हेडलाइन मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए उनका संयोजन करता है। इस दूसरे दृष्टिकोण का उपयोग करके सटीकता का पूर्वानुमान लगाने में कोई सार्थक लाभ नहीं हो पाता है। अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि मशीन लर्निंग का क्षेत्र नए आकड़ों को शामिल करने के लिए साधन और कार्यप्रणालियों के एक नए प्रतिमान के साथ-साथ नीतिनिर्माताओं के पूर्वानुमान टूलकिट में अधिक जटिल कार्यप्रणालियों का प्रस्ताव प्रदान करता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2019-2020/601 *रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |