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रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 04/2022: भारत में बाजार उधार पर राज्यों का वित्तीय निष्पादन और प्रतिफल स्प्रेड

21 जनवरी 2022

रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 04/2022:
भारत में बाजार उधार पर राज्यों का वित्तीय निष्पादन और प्रतिफल स्प्रेड

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के तहत “भारत में बाजार उधार पर राज्यों का वित्तीय निष्पादन और प्रतिफल स्प्रेड" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन रमेश जंगीली, एन.आर.वी.वी.एम.के. राजेंद्र कुमार और जय चंदर ने किया है।

यह पेपर राज्यों के वित्तीय निष्पादन का एक समग्र सूचकांक तैयार करता है और जांच करता है कि क्या निर्मित सूचकांक, राज्य विकास ऋण (एसडीएल) प्रतिफल स्प्रेड को समझाने में मदद कर सकता है। समग्र सूचकांक के लिए प्रमुख राजकोषीय मानदंड जैसे घाटा, ऋण, व्यय की गुणवत्ता, राजस्व जुटाने के प्रयास और एसडीएल की बाजार चलनिधि पर विचार किया जाता है। राजकोषीय और बाजार दोनों संकेतकों का समावेश, अध्ययन को अद्वितीय बनाता है और विश्लेषण को व्यापक बनाता है। अनुभवजन्य परिणाम एसडीएल प्रतिफल स्प्रेड के साथ सूचकांक का सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण समन्वय स्थापित करते हैं जो यह सुझाव देते हैं कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन और बेहतर बाजार चलनिधि राज्यों को उधार लेने की लागत को कम करने में मदद कर सकती है। अलग-अलग उप-सूचकांकों के विश्लेषण से पता चला कि घाटा, व्यय की गुणवत्ता और बाजार की चलनिधि, प्रतिफल स्प्रेड को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण कारक हैं। इस प्रकार, सूचकांक राज्य सरकारों को उधार की लागत को कम करने के लिए अपने निष्पादन में सुधार करने हेतु अपनी नीतियों को पुनः व्यवस्थित करने के लिए पसंदीदा विकल्प प्रदान करता है। सूचकांक निवेशकों को अधिक सूचित निवेश निर्णय लेने के लिए एकल उपाय प्रदान करता है, जिससे एसडीएल के मूल्य खोज तंत्र को और अधिक कुशल बनाने की उम्मीद है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1584


* भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। उन्हें टिप्पणियों और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।

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