रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 07/2022: भारत में बैंकिंग प्रणाली का सकेन्द्रण, प्रतिस्पर्धा और सुदृढ़ता - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 07/2022: भारत में बैंकिंग प्रणाली का सकेन्द्रण, प्रतिस्पर्धा और सुदृढ़ता
22 मार्च 2022 रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 07/2022: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के तहत “भारत में बैंकिंग प्रणाली का सकेन्द्रण, प्रतिस्पर्धा और सुदृढ़ता" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन प्रदीप भुइयां ने किया है। यह पेपर 1994-95 से 2019-20 की अवधि के दौरान भारत में बैंकों का बाजार सकेन्द्रण, प्रतिस्पर्धा और सुदृढ़ता के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं की जांच करता है। पेपर में पाया गया है कि अध्ययन की अवधि के दौरान भारत की बैंकिंग प्रणाली को उच्च स्तरीय बाजार सकेन्द्रण द्वारा चित्रित नहीं किया गया था। मार्टिनेज-मीरा और रेपुलो (2010) मॉडल को लागू करने से बैंक की बाजार शक्ति और उसकी सुदृढ़ता के बीच एक विपरीत यू-आकार के संबंध का पता चलता है। इस अवधि के दौरान बैंक के बाजार हिस्से और उसकी सुदृढ़ता के बीच एक गैर-रैखिक संबंध पाया गया जोकि किसी एक बैंक के बाजार हिस्सेदारी के इष्टतम सीमा स्तर को रेखांकित करता है। यह पेपर भारत में बैंकों के लिए प्रतिस्पर्धा-स्थिरता के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा-सौम्यता दोनों के विचारों को बरकरार रखता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि अनुमानित सीमा के संबंध में कोई एक बैंक को कैसे रखा गया है। इस सीमा के आधार पर, यह पेपर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच समेकन के हालिया प्रयासों के समर्थन में साक्ष्य प्रदान करता है और इन प्रयासों को विवेकपूर्ण मानता है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1895 * भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है तो कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों के भी अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |