भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2023 पोर्टफोलियो प्रवाह और विनिमय दर अस्थिरता: ब्रिक्स देशों के लिए एक अनुभवजन्य आकलन - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2023 पोर्टफोलियो प्रवाह और विनिमय दर अस्थिरता: ब्रिक्स देशों के लिए एक अनुभवजन्य आकलन
05 जुलाई 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 08/2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला1 के अंतर्गत “पोर्टफोलियो प्रवाह और विनिमय दर अस्थिरता: ब्रिक्स देशों के लिए एक अनुभवजन्य आकलन” शीर्षक से एक वर्किंग पेपर जारी किया। पेपर का सह-लेखन दीपक आर चौधरी, पुष्पा त्रिवेदी और प्रभात कुमार ने किया है। यह पेपर जनवरी 2000 से जुलाई 2021 की अवधि के दौरान पांच ब्रिक्स मुद्राओं (ब्राज़ीलियाई रियल, रूसी रूबल, भारतीय रुपया, चीनी आरएमबी और दक्षिण अफ़्रीकी रैंड) की विनिमय दर की अस्थिरता पर निवल इक्विटी और बॉण्ड पोर्टफोलियो प्रवाह के प्रभावों की जांच करता है। निष्कर्षों से पता चलता है कि बॉण्ड और इक्विटी बाजारों में पोर्टफोलियो प्रवाह इन मुद्राओं की विनिमय दर की अस्थिरता को प्रभावित करता है। बॉण्ड बाजार में या इक्विटी बाजार में पोर्टफोलियो प्रवाह से, ब्राजील को छोड़कर, ब्रिक्स मुद्राओं में मूल्यवृद्धि हुई। इसके अलावा, यह पाया गया कि ब्रिक्स केंद्रीय बैंकों द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप, उनकी विनिमय दर की अस्थिरता को कम करने में सफल रहा। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/542 1 भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और अतिरिक्त चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |