रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 11/2020: मुद्रास्फीति पूर्वानुमान संयोजन - भारतीय अनुभव - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 11/2020: मुद्रास्फीति पूर्वानुमान संयोजन - भारतीय अनुभव
24 सितंबर 2020 रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 11/2020: मुद्रास्फीति पूर्वानुमान संयोजन - भारतीय अनुभव भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के तहत "मुद्रास्फीति पूर्वानुमान संयोजन - भारतीय अनुभव" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन जायस जॉन, संजय सिंह और मनीष कपूर द्वारा किया गया है। जैसे ही भारत 2016 में एक औपचारिक मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे की तरफ प्रेरित हुआ, मुद्रास्फीति पूर्वानुमान, मध्यवर्ती लक्ष्य के रूप में, मौद्रिक नीति के संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट बन गया है। मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र के लिए झटके के कई स्रोत जिन्हें पूरी तरह से अनुमानित करना मुश्किल हैं- जैसेकि खाद्य कीमतों में छिटपुट अस्थिरता, विनिमय दरों और वस्तुओं की कीमतों में हलचल, मुद्रास्फीति प्रत्याशा का क्रमिक विकास, ई-कॉमर्स से प्रतिस्पर्धा और वैश्विक एकीकरण में वृद्धि - और मानक व्यवहारिक समष्टि आर्थिक संबंधों में संभावित अनुभवजन्य अरैखिकता, हालांकि, मुद्रास्फीति मॉडलिंग और पूर्वानुमान को चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। इन परिस्थितियों में, पूर्वानुमान को रेंडम वॉक मॉडल से हरा पाना अक्सर मुश्किल होता है। झटकों की समय-भिन्न प्रकृति को देखते हुए, एक विशेष मॉडल सभी स्तरों पर मजबूत होना संभावित नहीं है। इसके लिए वैकल्पिक मॉडल के उपयोग की आवश्यकता हो सकती है, जिससे उन्हें अधिक विश्वसनीय एकल पूर्वानुमान पथ बनाने के लिए उनको संयोजित करने में चुनौती का सामना करना पड़े। यह पेपर भारतीय संदर्भ में अलग-अलग संयोजन दृष्टिकोणों के विस्तृत प्रदर्शन का पूर्वानुमान करता है, जो विभिन्न मॉडलिंग फ्रेमवर्क से उत्पन्न पूर्वानुमानों की एक विस्तृत श्रृंखला और बेंचमार्क रैंडम वॉक मॉडल के सापेक्ष होता है। निष्पादन -आधारित संयोजन पूर्वानुमान में हेडलाइन और कोर मुद्रास्फीति दोनों के लिए अलग मॉडलों के पूर्वानुमान के सापेक्ष पूर्वानुमान प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार होता है। इससे पता चलता है कि संयोजन का दृष्टिकोण संभावित मॉडल अविनिर्देश को संभालने और संरचनात्मक संबंधों में टूटने से बेहतर है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/385 * रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |