रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 4/2021: क्या ऑफशोर एनडीएफ मार्केट ऑनशोर फॉरेक्स मार्केट को प्रभावित करता है? भारत से साक्ष्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 4/2021: क्या ऑफशोर एनडीएफ मार्केट ऑनशोर फॉरेक्स मार्केट को प्रभावित करता है? भारत से साक्ष्य
11 अगस्त 2021 रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 4/2021: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के तहत* “क्या ऑफशोर एनडीएफ मार्केट ऑनशोर फॉरेक्स मार्केट को प्रभावित करता है? भारत से साक्ष्य" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन हरेंद्र बेहेरा, राजीव रंजन और साजिद चिनाय ने किया है। यह पेपर भारतीय रुपये के लिए तटीय और अपतटीय बाजारों के बीच संबंधों का अध्ययन करता है और उनके बीच एक स्थिर दीर्घकालिक संबंध पाता है। दीर्घावधि में एनडीएफ बाजार में सूचना प्रसारित होने से पहले मूल्य की खोज आमतौर पर तटीय बाजार, अर्थात स्पॉट और वायदा खंड में होती है। टेंपर टैंट्रम अवधि के पश्चात, कार्य-कारण की दिशा उलट गई है, और ऑनशोर बाजार ज्यादातर घरेलू स्तर पर मूल्य उद्धरण बनाने के लिए ऑफशोर से जानकारी प्राप्त करता है। "अस्थिरता स्पिलओवर" के संबंध में, विश्लेषण से पता चलता है कि सामान्य अवधि के दौरान ऑनशोर और ऑफशोर विदेशी मुद्रा बाजारों के बीच स्पिलओवर द्विदिश है, लेकिन तीव्र वैश्विक जोखिमों के अवसरों के दौरान ऑफशोर से ऑनशोर तक एकतरफा हो जाता है। इसके अलावा, ऑफशोर से ऑनशोर बाजारों में अस्थिरता स्पिलओवर की मात्रा भी तनाव की अवधि के दौरान बढ़ जाती है। अतः, अध्ययन विदेशी मुद्रा बाजारों की वास्तविक समय की निगरानी की सिफारिश करता है ताकि ऑफशोर से ऑनशोर बाजारों में किसी भी पर्याप्त स्पिलओवर को नियंत्रित किया जा सके। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/674 * रिज़र्व बैंक ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |