भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं.04/2023: लाभप्रदता पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रभाव – भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र से साक्ष्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं.04/2023: लाभप्रदता पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रभाव – भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र से साक्ष्य
11 अप्रैल 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं.04/2023: लाभप्रदता पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रभाव – भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला* के अंतर्गत" लाभप्रदता पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रभाव - भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र से साक्ष्य" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर जारी किया। पेपर का सह-लेखन हरिद्वार यादव, विशाल शिंदे और समीर कुमार दास ने किया है। इस पेपर में अनुभवजन्य रूप से भारतीय कंपनियों की पूंजी संरचना और लाभप्रदता पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रभाव का आकलन किया गया है। 2013-14 से 2018-19 तक प्रोवेस डेटाबेस से कंपनी की वित्तीय स्थिति पर डेटा के साथ एफडीआई प्राप्त करने वाली कंपनियों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रकाशनों से डेटा लेकर बनाए गए एक मल्टीवेरिएट जीएमएम पैनल रिग्रेशन मॉडल और एक नए पैनल डेटासेट का उपयोग करते हुए, पेपर में इस बात का उल्लेख किया गया है कि इक्विटी में एफडीआई की हिस्सेदारी में वृद्धि, एफडीआई प्राप्त करने वाली कंपनियों की लाभप्रदता को बढ़ाती है। इक्विटी में एफडीआई, कंपनी के लीवरेज को कम करके कंपनी की पूंजी संरचना को भी प्रभावित करता है। किसी कंपनी की उम्र और आकार भी लाभप्रदता निर्धारित कर सकता है, अर्थात्, पुरानी एफडीआई प्राप्त करने वाली कंपनियां और छोटी एफडीआई प्राप्त करने वाली कंपनियों के कम लाभदायक होने की संभावना है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/49 * भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों और कभी-कभी बाहरी सह-लेखकों, जब अनुसंधान संयुक्त रूप से किया जाता है, के अनुसंधान की प्रगति पर शोध प्रस्तुत करते हैं। इन्हें टिप्पणियों और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे जिस संस्थान (संस्थाओं) से संबंधित हैं, उनके विचार हों। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। |