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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 1 / 2013 वित्‍तीय स्थिरता बैंकिंग क्षेत्र को आधातों को आमेलित करने, अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने में सहायता करती है

18 जनवरी 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 1 / 2013
वित्‍तीय स्थिरता बैंकिंग क्षेत्र को आधातों को आमेलित करने,
अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने में सहायता करती है

रिज़र्व बैंक ने वर्किंग पेपर श्रृंखला के अंतर्गत आज अपनी वेबसाइट पर "बैंकिंग स्थिरता- वित्‍तीय स्थिरता के लिए पूर्वप्रेरक" शीर्षक एक वर्किंग पेपर जारी किया। यह पेपर डॉ. रबी एन. मिश्रा, श्री एस. मजुमदार और श्रीमती डिंपल भांडिया द्वारा लिखा गया है।

वित्‍तीय स्थिरता का मुद्दा बैंकिंग स्थिरता, खासकर भारत जैसी बैंक प्रभावित वित्‍तीय प्रणाली में बैंकिंग स्थिरता के साथ निकट से संबंधित है। ऐतिहासिक साक्ष्‍य यह दर्शाते हैं कि वे वित्‍तीय संकट जो बैंकिंग क्षेत्र में मजबूती से शामिल हैं, उनका रियल क्षेत्र पर अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। बैंकिंग स्थिरता को स्‍वयं में कई मानदंडों उदाहरणार्थ; आस्ति गुणवत्‍ता, चलनिधि, पूँजी, लागत और लाभप्रदता आदि के संयुक्‍त प्रभाव के रूप में माना जा सकता है। स्थिरता की मात्रा इसके एक अथवा एक से अधिक संघटकों में होने वाले परिवर्तनों के साथ उस अवधि के दौरान बदलती रहती है। यद्यपि बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता वित्‍तीय बाजार और वास्‍तविक अर्थव्‍यवस्‍था में व्‍याप्‍त स्थितियों के साथ सकारात्‍मक अथवा नकारात्‍मक रूप से प्रभावित होती है और अंतत: यह निर्धारित करती है कि आघातों को आमेलित करने की अपनी सामर्थ्‍य द्वारा अर्थव्‍यवस्‍था में किस सीमा तक वित्‍तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है। अत: बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता को अर्थव्‍यवस्‍था में वित्‍तीय स्थिरता के अग्रणी के रूप में माना जा सकता है।

इस पेपर ने कुछ उन संकेतकों जो बैंकिंग क्षेत्र मजबूती को मापने के लिए महत्‍वपूर्ण हैं, के संयोजन द्वारा भारत के लिए बैंकिंग स्थिरता संकेतक हेतु एक पद्धति विकसित की है। यह पेपर बैंकिंग स्थिरता संकेतक का वित्‍तीय बाजार और रियल क्षेत्र के साथ संबंध का विश्‍लेषण करता है।

प्रमुख निष्कर्षः

  • पांच आयामों के साथ संरचित बैंकिंग स्थिरता संकेतक बैंकिंग क्षेत्र के कार्यनिष्पादन की जानकारी उपलब्ध कराता है और इस प्रकार एक तरह से अग्रणी संकेतक समझा जा सकता है।

  • यह पेपर बैंकिंग स्थिरता और वित्तीय स्थिरता के बीज संबंध स्थापित करता है। निरंतर वित्तीय स्थिरता से बैंकिंग स्थिरता में सुधार होता है और बैंकिंग क्षेत्र को संकट के समय में झटकों को सहन करने में समर्थ बनाता है, इस प्रकार प्रभाव को कम करता है और अर्थव्यवस्था में न्यूनतम समय में उछाल लाने में सहायता करता है।

  • समीक्षाधीन अवधि के दौरान, बैंकिंग तनाव वित्तीय बाजार में तनाव की लगभग 33 प्रतिशत परिवर्तनशीलता के बारे में बताता है, वित्तीय बाजार केवल बैंकिंग क्षेत्र में 17 प्रतिशत परिवर्तनशीलता बताते हैं।

  • ग्रेंजर के कारणत्व परीक्षण का प्रयोग करते हुए बैंकिंग क्षेत्र की आस्ति गुणवत्ता पर जीडीपी विकास का प्रभाव दर्शाता है कि जीडीपी विकास से आस्ति गुणवत्ता अत्यधिक प्रभावित होती है।

  • बैंकिंग स्थिरता संकेतक में गतिविधियां दर्शाती हैं कि हाल की अवधि में मुख्य रूप से आस्ति गुणवत्ता में गिरावट के कारण बैंकिंग क्षेत्र की अस्थिरता में हल्की वृद्धि के लक्ष्ण हैं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1217

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