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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 10/2012 भारत के लिए प्रणालीगत चलनिधि सूचकांक

25 जून 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 10/2012
भारत के लिए प्रणालीगत चलनिधि सूचकांक

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाईट पर ''भारत के लिए प्रणालीगत चलनिधि सूचकांक'' शीर्षक एक वर्किंग पेपर डाला। यह वर्किंग पेपर डॉ. रबी एन. मिश्रा, श्री जगन मोहन और श्री संजय सिंह द्वारा लिखित है।

चलनिधि तनाव किसी बैंकिंग संकट के मूल केंद्र में है। चलनिधि जोखिम का प्रबंध जब अलग-अलग संस्‍थाओं में समुचित रूप से नहीं किया जाता है तो इससे शोध-क्षमता की एक गंभीर समस्‍या खड़ी हो सकती है। यह पेपर उन विभिन्‍न तत्‍वों को पारिभाषित करना चाहता है जो चलनिधि के रूप में बड़े साधारण ढंग से दर्शाए जाते हैं। यह चलनिधि के विभिन्‍न प्रकारों का वर्णन करता है जिसे यह शब्‍द अन्‍य बातों के बीच निधियन और बाज़ार चलनिधि को स्‍पष्‍ट करता है।

प्रणालीगत जोखिम प्रणालीगत चलनिधि के एक व्‍यापक शब्‍द द्वारा प्रभावित होती है जिसमें बैंकिंग क्षेत्र, गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र, कंपनी क्षेत्र में चलनिधि परिदृश्‍य तथा व्‍याप्‍त विदेशी मुद्रा चलनिधि स्थितियां शामिल होती हैं। यह पेपर भारत के लिए एक प्रणालीगत चलनिधि सूचकांक (एसएलआइ) प्रस्‍तुत करता है जिसमें सभी प्रमुख वित्तीय बाज़ारों में निधियन चलनिधि स्थितियां शामिल हैं। चार संकेतकों पर आधारित इसकी व्‍यापकता की सीमा बैंकों, गैर-बैंकों तथा कंपनी क्षेत्रों को निधियन तक व्‍याप्‍त है, जिसमें एसएलआई की रचना सापेक्षित दूरी पद्धति, मानक सामान्‍य अथवा भिन्‍नता समान पद्धति, प्रधान संघटक विश्‍लेषण पद्धति और श्रेणी प्रतिशतता पद्धति पर आधारित चार विभिन्‍न पद्धतियों का उपयोग करते हुए की गई है। इन चारों में से यह पेपर सबसे औचित्‍यपूर्ण एक पद्धति नामत: भिन्‍नता समान पद्धति को स्‍वीकार करता है जिसका व्‍यापक रूप से अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उपयोग किया जाता है।

मॉंग दर पर आधारित एक एकल संकेतक का उपयोग भी चलनिधि बाध्‍यताओं के एक सूचकांक के रूप में किया जा सकता है। तथापि, ऐसा कोई सूचकांक केवल बैंकों के संबंध में चलनिधि स्थितियों से संबंधित संकेत उपलब्‍ध कराता है। विकसित एसएलआई, एकाधिक संकेतकों का उपयोग किसी एकल संकेतक के बदले समस्‍त प्रणाली में निधियन चलनिधि स्थितियों का प्रतिनिधित्‍व करते हुए अधिक व्‍यापक है। इसकी गणना आसान है क्‍योंकि यह मानक सांख्यिकी तकनीक और दैनिक बाज़ार आंकड़ों का उपयोग करता है तथा प्रणालीगत चलनिधि स्थितियों में निगरानीकर्ता प्रवृत्तियों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। इस प्रकार विकसित एसएलआई का इसके कार्यों के लिए समुचित रूप से प्रणालीगत चलनिधि के मापन तथा बैंकों के कार्यनिष्‍पादन और इसके प्रभाव के लिए एक पैमाने के रूप में मूल्‍यांकित किया जाता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं लागू की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्‍टाफ सदस्‍यों की प्र‍गति में अनुसंधान का प्रतिनिधित्‍व करते हैं तथा इन्‍हें स्‍पष्‍ट अभिमत और आगे चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है।  इन पेपर में व्‍यक्‍त विचार लेखकों के हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्‍पणियों लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर किए जाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/2059

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