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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 11: गैर सुपुर्दगी योग्य वायदा और तटवर्ती भारतीय रुपया बाजार : अंतर्संबंधो पर एक अध्ययन

20 दिसंबर 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 11:
गैर सुपुर्दगी योग्य वायदा और तटवर्ती भारतीय रुपया बाजार : अंतर्संबंधो पर एक अध्ययन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “गैर सुपुर्दगी योग्य वायदा (एनडीएफ) और तटवर्ती भारतीय रुपया बाजार : अंतर्संबंधो पर एक अध्ययन” शीर्षक वाला एक वर्किंग पेपर जारी किया जो भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला (आरबीआई डब्ल्यूपीएस) के अंतर्गत है। यह पेपर सर्वश्री राजन गोयल, रंजीव जैन और सौमश्री तिवारी द्वारा लिखा गया है।

इस पेपर में लेखकों ने भारतीय रुपये (आईएनआर) के लिये एनडीएफ बाजारों के साथ भारत के विदेशी मुद्रा बाजार के तटवर्ती खंडों में अंतर्संबंधो की जांच की है। अध्ययन की नमूना अवधि को 6 जून 2006 से 3 अप्रैल 2013 तक भारतीय रुपये (आईएनआर) में मूल्यवृद्धि /मूल्यह्रास की प्रवृत्ति के आधार पर चार उप अवधियों में बांटा गया है। तटवर्ती और एनडीएफ बाजारों में विप्रेषणों की दिशा का अध्ययन करने के लिये वेक्टर चूक सुधार मॉडल और एआरसीएच/जीएआरसीएच मॉडल का उपयोग किया गया है।

पेपर के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार है :

  • तटवर्ती और एनडीएफ बाजारों में लंबी अवधि से रिश्ते बने हुए हैं और यह संबंध दोनों दिशाओं में प्रभावी हैं, अत: ये दोनों बाजार संतुलनकारी स्थिति से किसी भी विचलन को समायोजित करते है। तथापि जब रुपया गिरावट के प्रभाव में आता है, तब यह दुतर्फा रिश्ता एनडीएफ से तटवर्ती बाजार की ओर एक दिशा में परिवर्तित होता है।

  • एआरसीएच/जीएआरसीएच मॉडल स्थूल रूप से एनडीएफ और तटवर्ती बाजारों केअंतर्संबंधो में परस्पर/मध्यवर्ती (क्रॉस-मीन) और अस्थिर पिछले जमा स्टॉक के माध्यम से इसी प्रकार की गतिशीलता की पुष्टि करते है।

  • जहां एनडीएफ बाजारों से तटवर्ती बाजारों की ओर और तटीय बाजारों से एनडीएफ बाजारों की ओर अस्थिर पिछला जमा स्टॉक रुपए की मूल्यवृद्धि मजबूत होने के दौरान सांख्यिकी दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाते है, वहीं रुपए के अवमूल्यन के दौरान अस्थिर पिछला जमा स्टॉक एनडीएफ बाजारों से तटवर्ती बाजारों की ओर एक ही दिशा में गतिशील हो जाते है।

  • यद्यपि दोनों तटवर्ती और अप-तटवर्तीय खंड दीर्घावधि में संतुलनलकारी रिश्ते का पालन करते है, रुपए में अवमूल्यन के प्रभाव के दौरान एनडीएफ बाजारों में घट-बढ तटवर्ती बाजारों में समायोजन लाती है।

*भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं लागू की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों की प्रगति में अनुसंधान का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा इन्हें स्पष्ट अभिमत और आगे चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है।इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्पणियां लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्वरूप को ध्यान में रखकर किए जाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1248

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