RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79837842

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 12 / 2012 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर भारत में वैकल्पिक पूँजी बफर का प्रस्‍ताव करता है

27 जून 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 12 / 2012
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर भारत में वैकल्पिक पूँजी बफर का प्रस्‍ताव करता है

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाईट पर ''भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर भारत में वैकल्पिक पूँजी बफर का प्रस्‍ताव करता है'' शीर्षक एक वर्किंग पेपर डाला। यह वर्किंग पेपर श्री तुलसी गोपीनाथ और श्री ए. के. चौधरी द्वारा लिखित है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में यह तर्क दिया गया है कि बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासेल समिति (बीसीबीएस) द्वारा दिए गए मार्गदर्शन भारत के लिए उचित नहीं हैं। यह निष्‍कर्ष वर्ष 1950-51 से पिछले 60 वर्षों के लिए वार्षिक बैंकिंग आंकड़ों के विश्‍लेषण पर आधारित है। लेखकों ने अन्‍य बातों के बीच एक वैकल्पिक पूँजी बफर मार्गदर्शन को दर्शाते हुए आर्थिक विकास की वर्तमान स्थिति तथा भारत में अंतर्निहित बैंकिंग कारोबार नमूने को प्रदर्शित किया है। वर्ष 1990-91 से वार्षिक आंकड़ों का उपयोग करते हुए लेखकों ने अनुभवजन्‍य रूप से बीसीबीएस के मार्गदर्शन की तुलना में वैकल्पिक बफर मार्गदर्शन के कार्यनिष्‍पादन को सत्‍यापित किया है। इस अनुसंधान के विशिष्‍ट निष्‍कर्ष इस प्रकार हैं :

  • बीसीबीएस पूँजी बफर मार्गदर्शन का एक पूर्वचक्रीय आधार है। यह निष्‍कर्ष इस विषय पर हाल के साहित्‍य से सहमति रखता है। दूसरी और प्रस्‍तावित वैकल्पिक पूँजी बफर मार्गदर्शन की प्रकृति प्रतिचक्रीय है।

  • प्रस्‍ताविक वैकल्पिक मार्गदर्शन (बीसीबीएस) पूँजी बफर मार्गदर्शन की अपेक्षा आस्ति बाज़ार गतिविधियों के अधिक अनुकूल है।

इन निष्‍कर्षों के आधार पर इस बात की जानकारी देते समय कि सभी संकेतक संभावित रूप से गलत संकेत देते हैं, लेखक भारत में पूँजी बफर परिचालनों के संचालन के लिए एक उपकरण किट प्रस्‍तावित करते हैं।

हाल के वैश्विक वित्तीय संकट ने जी-20 के तत्‍वावधान के अंतर्गत बैंकों के विनियमन को मज़बूत करने की अनिवार्यता को नीति चिंता के केंद्रबिंदु में ला खड़ा किया है। तदनुसार, अंतर्राष्‍ट्रीय  मानक निर्धारक नामत: बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासेल समिति (बीसीबीएस) तथा वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) विभिन्‍न दिशानिर्देश तैयार और प्रकाशित करते रहे हैं। ऍसा ही एक प्रमुख प्रयास बासेल III ढॉंचा है जिसका लक्ष्‍य बैंकिंग क्षेत्र की अनुकूलता को बढ़ाना है। प्रतिचक्रीय पूँजी बफर बासेल  III पूँजी विनियमन का एक महत्‍वपूर्ण संघटक है। बीसीबीएस ने अन्‍य बातों के बीच राष्‍ट्रीय विनियामक प्राधिकरणों के विचार के लिए एक पूँजी बफर मार्गदर्शन अनुशंसित करते हुए वर्ष 2010 में अपना अंतिम मार्गदर्शन जारी किया था। बीसीबीएस के मार्गदर्शन में बफर परिचालनों के संचालन के लिए ऋण से सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात का पैमाना शामिल है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं लागू की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्‍टाफ सदस्‍यों की प्रगति में अनुसंधान का प्रतिनिधित्‍व करते हैं तथा इन्‍हें स्‍पष्‍ट अभिमत और आगे चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है।  इन पेपर में व्‍यक्‍त विचार लेखकों के हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्‍पणियों लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर किए जाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/2079

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?