भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 5: औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि बनाए रखने के लिए वास्तविक प्रभावी विनिमय दर की स्थिरता महत्वपूर्ण - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 5: औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि बनाए रखने के लिए वास्तविक प्रभावी विनिमय दर की स्थिरता महत्वपूर्ण
15 मई 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 5: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के अंतर्गत “भारत में उपयोग आधारित औद्योगिक उत्पादन पर वास्तविक विनिमय दर अस्थिरता का प्रभाव” नामक वर्किंग पेपर जारी किया है। यह पेपर एलिस सेबेस्टियन, उपासना शर्मा, थांगजेसन सोना और डॉ. हिमांशु जोशी द्वारा लिखा गया है। यह पेपर उच्चतर निर्यात और आयात सघनता के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ भारत के औद्योगिक क्षेत्र के बढ़ते एकीकरण के संदर्भ में औद्योगिक वृद्धि पर विनिमय दर अस्थिरता के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करता है। यह पेपर वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) की अस्थिरता की गणना के लिए ईजीएआरसीएच पद्धति का उपयोग करते हुए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के उपयोग आधारित घटकों पर विनिमय दर अस्थिरता के प्रभावों का भी पता लगाता है। 36 कंट्री आरईईआर के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य बताता है कि आरईईआर अस्थिरता का प्रतिकूल प्रभाव आईआईपी के उपयोग आधारित उप-घटकों अर्थात उपभोक्ता वस्तुओं को छोड़कर मूलभूत, पूंजीगत और मध्यस्थ वस्तुओं में समान रूप से दिखाई देता है। 6 कंट्री आरईईआर के मामले में मूलभूत वस्तुओं को छोड़कर विनियम दर अस्थिरता का प्रतिकूल प्रभाव आईआईपी के अन्य सभी उपयोग आधारित घटकों में दिखाई देता था। पूंजीगत वस्तुओं पर आरईईआर अस्थिरता के बड़े नकारात्मक प्रभाव के अपवाद के साथ इसका आकार-वार प्रभाव अन्य उपयोग आधारित उद्योगों पर सामान्यतः सीमित रहा है। इस अंतर का श्रेय व्यापार के निर्देश, मात्रा और संरचना, घरेलू मांग की प्रतिस्पर्धा और पर्याप्तता के भिन्न-भिन्न कारणों को जा सकता है। इस निष्कर्ष का प्रभाव यह है कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि बनाए रखने, सांकेतिक विनिमय दर और घरेलू मुद्रास्फीति दोनों की अस्थिरता के उचित प्रबंध की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) की स्थिरता महत्वपूर्ण है। *रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरूआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों की प्रगति में अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम गुण का ध्यान रखा जाए। संगीता दास प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/2217 |