भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला : 6 / 2012 भारत में मौद्रिक नीति अंतरण के ब्याज दर चैनल का साक्ष्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला : 6 / 2012 भारत में मौद्रिक नीति अंतरण के ब्याज दर चैनल का साक्ष्य
18 मई 2012 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला : 6 / 2012 केंद्रीय बैंकों की ब्याज दर कार्रवाईयां और चलनिधि परिचालन किस तरह से मुद्रस्फीति और विकास के अंतर्गत मौद्रिक नीति के अपेक्षित उद्देश्यों पर प्रभाव डालते हैं यह निहित मौद्रिक अंतरण पर निर्भर करता है। पिछले दो दशकों में खासकर, विकसित राष्ट्रों में मौद्रिक अंतरण व्यवस्था को समझने में अत्यधिक अनुसंधान प्रयास किए गए हैं। किसी विशिष्ट व्यवस्था के अभाव में साहित्य में कई सिध्दांतो को मान लिया गया है और एकाधिक माध्यमों को देखा गया है। तथापि, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ऐसी खोज सीमित है। इस संदर्भ में, इस पेपर में भारत में मौद्रिक नीति के ब्याज दर माध्यम का अनुभवजन्य साक्ष्य उपलब्ध कराया गया है। घरेलू वित्तीय बाज़ारों के विकास और ब्याज दरों के धीमे अविनियमन के चलते हाल के वर्षों में भारत में मौद्रिक नीति परिचालन प्रक्रिया में मौद्रिक नीति के रुझान का संकेत देने के लिए ब्याज दरों पर अधिक निर्भरता आयी है। प्रक्रिया को उल्लेखनीय साक्ष्य का सहारा है कि कई वित्तीय बाज़ारों में अंतरण की तीव्रता में भिन्नता होने के बावजूद ब्याज दर में परिवर्तन ब्याज दरों के सावधि ढाँचे के माध्यम से अंतरित होते हैं। एक त्रैमासिक ढांचागत वेक्टर ऑटो-रेग्रेशन (एसबीएआर) मॉडल के प्रयोग से यह पेपर यह साक्ष्य प्रस्तुत करता है कि नीति दर बढ़ोतरी का दो तिमाहियों के अंतर के साथ उत्पाद वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और तीन तिमाहियों के अंतराल में मुद्रास्फीति पर सामान्य प्रभाव पड़ता है। समग्र प्रभाव 8 से 10 तिमाहियों में जारी रहता है। ये परिणाम उत्पाद, मुद्रास्फीति और चलनिधि के विभिन्न उपायों के साथ संपूर्ण वैकल्पिक विशिष्टताओं में मज़बूत पाया गया। साथ ही, प्रबल मौद्रिक नीति उपाय के रूप में ब्याज दर को महत्व देते हुए व्यापक मुद्रा (एम3) को छोड़कर उत्पाद, मुद्रास्फीति और चलनिधि के विभिन्न उपायों पर नीति ब्याज दर से एक ही दिशा उल्लेखनीय कार्य संबंध पाए गए। भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला शुरू की। इन पेपरों में भारतीय रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान को प्रस्तुत करता है और अभिमत प्राप्त करने तथा आगे की चर्चा के लिए उसका प्रचार-प्रसार किया जाता है। इन पेपरों में दिए गए विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं है। कृपया लेखकों को अपने अभिमत और विचार प्रस्तुत करें। इन पेपरों का उदाहरण देते समय और प्रयोग करते समय उनके अनंतिम कारक को ध्यान में रखा जाए। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1840 |