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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 6 : भारत में थोक मूल्य सूचकांक और पीएमआई-विनिर्माण मूल्य सूचकांकों के बीच संबंध का अनुभवजन्य विश्लेषण

19 अगस्त 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 6 :
भारत में थोक मूल्य सूचकांक और पीएमआई-विनिर्माण मूल्य सूचकांकों के बीच संबंध
का अनुभवजन्य विश्लेषण

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला (आरबीआईडब्ल्यूपीएस) के अंतर्गत “भारत में थोक मूल्य सूचकांक और पीएमआई-विनिर्माण मूल्य सूचकांकों के बीच संबंध का अनुभवजन्य विश्लेषण” शीर्षक वाला वर्किंग पेपर जारी किया है। यह वर्किंग पेपर श्री जीवन कुमार खुंदराक्पम और आशीष थॉमस जोर्ज द्वारा लिखा गया है।

विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) आर्थिक गतिविधि का अच्छा अग्रणी सूचक माना जाता है क्योंकि इसका सृजन खरीद प्रबंधक सर्वेक्षण से किया जाता है जिसे प्रायः समयबद्धता और आंकड़ों की वास्तविक प्रकृति के कारण उभरती आर्थिक गतिविधि का विश्वसनीय मापक माना जाता है। इस प्रकार पीएमआई का उपयोग विभिन्न केन्द्रीय बैंकों द्वारा दिशानिर्देश और आर्थिक गतिविधि की क्षमता के आकलन के लिए किया जाता है। पीएमआई विस्तार सूचकों के रूप में विनिर्माण इनपुट और आउटपुट स्थितियों पर सूचना भी प्राप्त करता है जिसका उपयोग अब कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

इस पेपर में यह जांच करने का प्रयास किया गया है कि ये पीएमआई मूल्य विस्तार सूचकांक भारत में थोक मूल्य सूचकांक में बदलावों को समझने के लिए उपयोगी सूचक हैं। यह विश्लेषण अप्रैल 2005 से अक्टूबर 2012 की अवधि के लिए सह-समेकन हेतु ओएलएस और एआरडीएल दोनों दृष्टिकोणों का उपयोग करते हुए किया गया है।

इस पेपर के मुख्य निष्कर्ष हैं:

  • पीएमआई मूल्य सूचकांकों का महत्वपूर्ण प्रभाव है और ये अंतिम थोक मूल्य सूचकांक की गतिविधियों का पूर्वानुमान लगाते हैं जिसका अभिप्रायः है कि ये सूचकांक अंतिम थोक मूल्य सूचकांक में पूर्वानुमान/त्वरित अनुमान गतिविधियों के प्रयोजन के लिए उपयोगी हैं।

  • इन मूल्य विस्तार सूचकांकों का लाभ-अलाभ मूल्य जो न ही विस्तार और न ही संकुचन का संकेत करता है वह 44 के आसपास है जो 50 के सामान्य मूल्य से काफी कम है। इसका अभिप्रायः यह है कि जब पीएमआई मूल्य सूचकांक 44 के मूल्य से अधिक और 50 से कम होंगे, तब थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति (वार्षिक रूप से महीना दर महीना आधार पर समायोजित) सकारात्मक रहेगी।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला शुरूआत की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्‍टाफ सदस्‍यों की प्रगति में अनुसंधान प्रस्‍तुत करते हैं और इन्‍हें टिप्‍पणियों और अधिक चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्‍यक्‍त विचार लेखकों के विचार हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचार नहीं है। कृपया टिप्‍पणियां और विचार लेखकों को भेजे जाएं। ऐसे पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनकी अस्थाई विशेषता का ध्यान रखा जाए।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/344

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