RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

81256100

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 9: कंपनी मूल्‍य निर्धारण शक्ति, मुद्रास्‍फीति और आईआईपी वृद्धि: एक अनुभवजन्‍य अन्‍वेषण

23 अक्‍टूबर 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला 9: कंपनी मूल्‍य निर्धारण शक्ति, मुद्रास्‍फीति और आईआईपी वृद्धि: एक अनुभवजन्‍य अन्‍वेषण

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला (आरबीआईडब्‍ल्‍यूपीएस) के अंतर्गत ''कंपनी मूल्‍य निर्धारण शक्ति, मुद्रास्‍फीति और आईआईपी वृद्धि: एक अनुभवजन्‍य अन्‍वेषण'' शीर्षक वाला वर्किंग पेपर जारी किया। यह वर्किंग पेपर श्री अंगसुमान हाइत, श्री जॉइस जॉन, डॉ. अभिमान दास और श्री अनुजित मित्रा द्वारा लिखा गया है।

मूल्‍य निर्धारण शक्ति का वर्णन सामान्‍यत: उस मात्रा में किया जाता है जिसमें तैयार वस्‍तुओं के मूल्‍यों के प्रति लागत इनपुट में फर्में परिवर्तन लाती है। पूर्ववर्ती अध्‍ययनों में उल्‍लेख किया गया है कि जिस मात्रा में प्रतिस्‍पर्धी फर्मों में मूल्‍य वृद्धि और लागत वृद्धि दोनों होती हैं, वह मुद्रास्‍फीति के स्‍तर पर आधारित होती है। इसके अतिरिक्‍त कंपनी मूल्‍य निर्धारण शक्ति, मुद्रास्‍फीति और उत्‍पादन के बीच संबंध अन्‍य चर वस्‍तुओं नामत: बाज़ार संरचना तथा आर्थिक गतिविधि के स्‍तर द्वारा भली प्रकार प्रभावित हो सकता है।

यह पेपर मूल्‍य निर्धारण शक्ति, मुद्रास्‍फीति और विनिर्माण उत्‍पादन के बीच वर्ष 2000-01 की पहली तिमाही से वर्ष 2011-12 की तीसरी तिमाही के लिए तिमाही आंकड़ों का उपयोग करते हुए बाज़ार शक्ति तथा आर्थिक गतिविधि स्‍तर के प्रभावों को नियंत्रित करने के बाद एक संरचनात्‍मक स्‍वत: कमी (एसवीएआर) ढांचे के अंतर्गत संबंध की जांच करता है। यह विश्‍लेषण गैर खाद्य विनिर्माण उत्‍पादों (एनएफएमपी), विभिन्‍न उपयोग श्रेणियों और चयनित उद्योगों के लिए किया गया था।

इस अध्‍ययन के मुख्‍य उद्देश्‍य इस प्रकार हैं:

  • मूल्‍य निर्धारण शक्ति सांख्यिकीय रूप से महत्‍वपूर्ण, सकारात्‍मक है तथा सकल स्‍तर पर एनएफएमपी समूह की कंपनियों के लिए उत्‍पादन वृद्धि पर प्रभाव डालती है।

  • मुद्रास्‍फीति पर घटती हुई मूल्‍य निर्धारण शक्ति का प्रभाव सकारात्‍मक पाया गया है लेकिन तुलनात्‍मक रूप से कम रहा है।

  • मूल्‍य निर्धारण शक्ति में गिरावट मुद्रास्‍फीति की अपेक्षा उत्‍पादन वृद्धि के सुधार में तेजी से दिखाई देती है।

  • उपयोग आधारित समूहों के बीच मुद्रास्‍फीति और उत्‍पादन वृद्धि पर मूल्‍यांकन शक्ति का प्रभाव केवल मध्‍यवर्ती वस्‍तुओं के मामले में महत्‍वपूर्ण और सकारात्‍मक है।

* भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 में भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखलाएं लागू की थी। ये पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के स्‍टाफ सदस्‍यों की प्र‍गति में अनुसंधान का प्रतिनिधित्‍व करते हैं तथा इन्‍हेंस्‍पष्‍ट अभिमत और आगे चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है।  इन पेपरों में व्‍यक्‍त विचार लेखकों के हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं। अभिमत और टिप्‍पणियां लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग इसके अनंतिम स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर किए जाएं।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/844

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?