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आरबीआइ वर्किंग पेपर श्रृंखला : अक्षम बाज़ारों के लिए आस्ति मूल्‍य निर्धारण प्रतिदर्श : भारतीय बाज़ारों से अनुभवजन्‍य साक्ष्‍य

20 अप्रैल 2012

आरबीआइ वर्किंग पेपर श्रृंखला :
अक्षम बाज़ारों के लिए आस्ति मूल्‍य निर्धारण प्रतिदर्श :
भारतीय बाज़ारों से अनुभवजन्‍य साक्ष्‍य

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाईट पर ''आरबीआइ वर्किंग पेपर श्रृंखला : अक्षम बाज़ारों के लिए आस्ति मूल्‍य निर्धारण प्रतिदर्श : भारतीय बाज़ारों से अनुभवजन्‍य साक्ष्‍य'' शीर्षक अप्रैल 2012 महीने के लिए वर्किंग पेपर जारी किया। यह वर्किंग पेपर डॉ. देवाशीष मजुमदार द्वारा लिखा गया है।

यह पेपर आस्ति मूल्‍य निर्धारण के मानक प्रतिदर्शों के अधिकार क्षेत्र में बाज़ार भावनाओं को शामिल करने हेतु एक दिशा उपलब्‍ध कराता है। बाज़ार भावनाएं टिप्‍पणी करने योग्‍य नहीं है। तथापि, इसे निष्‍पक्ष मूल्‍य बाज़ार प्रतिलाभ के स्‍थायी प्रस्‍थान के रूप में पारिभाषित किया जा सकता है। बाज़ार प्रतिलाभ का यह भाग कतिपय सूचनाओं के लिए निवेशकों द्वारा बहुलता अथवा निराशा के द्वारा व्‍याख्‍यायित है। बाज़ार प्रतिलाभ में पाया गया कोई स्‍वत: सह संबंध बाज़ार सूचना के लिए निवेशकों द्वारा संभावित बुलिश/बियरिश प्रतिक्रियाओं का परिणाम हो सकता है।

अक्‍सर भारतीय इक्विटी बाज़ार प्रलिलाभ क्रमिक रूप से कम-से-कम एक चरण के लिए सहसंबंधित होते हैं। दुर्भाग्‍यवश 'गलत मूल्‍य निर्धारण' इन बाज़ारों के लिए किसी परिचित आस्ति मूल्‍य निर्धारण प्रतिदर्श के अनुप्रयोग का एक सामान्‍य परिणाम हो सकता है क्‍योंकि ये प्रतिदर्श मानव निर्णय प्रक्रिया के गुणात्‍मक पहलुओं की उपेक्षा करते हैं। किसी सक्षम से किसी अक्षम बाज़ार की श्रेणी में इन प्रतिदर्शों के अनुप्रयोग का विस्‍तार करने के लिए लेखक ने एक रूपांतरण प्रस्‍तावित किया है जिसके माध्‍यम से मूल बाज़ार एक काल्‍पनिक बाज़ार में रूपांतरित होगा जो सापेक्षत: सक्षम होगा। भारतीय बाज़ारों के लिए अनुभवजन्‍य अध्‍ययन यह प्रकट करते हैं कि सामान्‍य रूप में परिकल्पित बाज़ार प्रतिलाभ क्रमिक रूप से निर्भर नहीं है और इस प्रकार वे किसी मानक आस्ति मूल्‍य निर्धारण प्रतिदर्श लागू करने की पूर्वापेक्षा को पूरा करते हैं। अत: कोई पारंपरिक बाण्‍ड अथवा स्‍टॉक मूल्‍य निर्धारण प्रतिदर्श उन प्रतिलाभों के लिए सक्षम ढंग से नियोजित किया जा सता है। अत: यह प्रतिदर्श 'अपेक्षाकृत कम' सक्षम बाज़ार के लिए लागू है तथा निवेशकों के उपकरण-संग्रह में उपयोगी योगदान हो सकता है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1678

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