सितंबर 2011 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 16 - आरबीआई - Reserve Bank of India
सितंबर 2011 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 16
10 अक्टूबर 2011 सितंबर 2011 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 16 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने वेबसाइट पर जनक राज और संगीता मिश्र द्वारा लिखित ''भारत में मूल मुद्रास्फीति का माप - एक अनुभवजन्य मूल्यांकन'' नामक वर्किंग पेपर जारी किया है। यह अध्ययन भारतीय संदर्भ में प्रासंगिक है क्योंकि आपूर्ति आघातों से संबंधित मूल्यों में अत्यधिक घट-बढ़ हुआ है तथा सामान्य रूप से मुद्रास्फीति का स्वीकार्य माप अर्थात् 'हेडलाइन मुद्रास्फीति' नीति प्रयोजनों के लिए प्रतीत होता है। लेखकों ने मूल मुद्रास्फीति को मापने की विभिन्न पद्धतियों पर चर्चा की है। उन्होंने तर्क दिया है कि वंचन आधारित मूल मुद्रास्फीति नीतिकर्ताओं का माना हुआ चयन है और अत: तदनुसार भारत के लिए मूल मुद्रास्फीति का माप करते हैं। उनके अनुसार खाद्येतर विनिर्माण के लिए रिज़र्व बैंक जिसका मॉंग दबाव का मापन करने के लिए प्रयोग करती है, वह मुद्रास्फीति के मूल का माप करने के लिए उत्कृष्ट है। फिर भी यह देखते हुए कि खाद्येतर विनिर्माण घटक अधिकतर देशों में 80 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा होने की तुलना में केवल 55 प्रतिशत है, अत: मुद्रास्फीति प्रबंधन अन्य देशों की तुलना में अधिक चुनौतिपूर्ण है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस वर्ष अप्रैल में ''भारतीय रिज़र्व बैंक कार्यकारी पेपर श्रृंखला (आरबीआइ-डब्ल्यूपी) शुरू की ताकि रिज़र्व बैंक के स्टाफ को अपने अनुसंधान अध्ययन को प्रस्तुत करने के लिए एक मंच मिले और जानकार अनुसंधानकर्ताओं से प्रतिसूचना प्राप्त हो सकें। आरबीआइ वर्किंग पेपर श्रृंखला सहित रिज़र्व बैंक के सभी अनुसंधान प्रकाशनों में व्यक्त विचार आवश्यक रूप से रिज़र्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाते हैं और इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों के प्रतिनिधित्व के रूप में उनकी रिपोर्ट नहीं की जानी चाहिए। इन पेपरों पर प्रतिसूचना यदि है, तो उसे अनुसंधान अध्ययनों के संबंधित लेखकों को भेजी जा सकती है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/ 553 |