भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 6: केंद्रीय बैंक के आउटपुट का आकलन – भारत के लिए पद्धति संबंधी मुद्दे - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 6: केंद्रीय बैंक के आउटपुट का आकलन – भारत के लिए पद्धति संबंधी मुद्दे
28 अप्रैल 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 6: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के अंतर्गत “केंद्रीय बैंक के आउटपुट का आकलन – भारत के लिए पद्धति संबंधी मुद्दे” शीर्षक से एक वर्किंग पेपर उपलब्ध कराया है। यह पेपर डॉ. पी. भुयान, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लिखा गया है। यह पेपर भारतीय संदर्भ में केंद्रीय बैंक के आउटपुट से संबंधित पद्धति संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई), भारत सरकार (जीओआई) रिज़र्व बैंक के आउटपुट सहित अर्थव्यवस्था के आउटपुट को संकलित करता है। जीडीपी की पूर्ववर्ती श्रृंखलाओं में, सीएसओ द्वारा संकलित भारतीय रिज़र्व बैंक का आउटपुट आंशिक रूप से बाजार और आंशिक रूप से गैर-बाजार आधारित था। तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक के संपूर्ण आउटपुट को अब सीएसओ द्वारा 2011-12 आधार वर्ष के साथ जीडीपी की नई श्रृंखला में गैर-बाजार के रूप में माना जाता है। एसएनए 2008 के अनुसार लागत दृष्टिकोण भारतीय रिज़र्व बैंक के आउटपुट का आकलन करने के लिए अपनाया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक के आउटपुट में नई पद्धति के अनुसार लगभग 87 प्रतिशत गिरावट देखी गई। पेपर में तर्क दिया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यकलापों का सामूहिक स्वरूप इसके पूरे आउटपुट को एसएनए 2008 सिफारिशों के अनुसार गैर-बाजार के रूप में माने जाने का प्रमुख कारण हो सकता है किंतु यह गैर-बाजार से बाजार आउटपुट को अलग नहीं करने का कारण नहीं माना जा सकता है। नियत पूंजी की खपत का अनुमान लगाने के लिए पेपर में एक वैकल्पिक चिरस्थायी इन्वेंटरी पद्धति (एपीआईएम) प्रस्तुत की गई है। यह पेपर भारतीय रिज़र्व बैंक के आउटपुट के आकलन के कुछ पहलुओं पर चर्चा करता है और इसका आकलन करने की पद्धति का प्रस्ताव करता है। *रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों की प्रगति में अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। संगीता दास प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/2524 |