सितंबर 2011 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 14 - आरबीआई - Reserve Bank of India
सितंबर 2011 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 14
11 अक्टूबर 2011 सितंबर 2011 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला सं. 14 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज ए.करूणाकरण द्वारा लिखित ''हाल का वैश्विक संकट और केंद्रीय बैंकों की स्वर्ण के लिए मॉंग : एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण'' विषय पर वर्किंग पेपर जारी किया। वैश्विक वित्तीय संकट के कारण केंद्रीय बैंकों सहित विभिन्न निवेशक अपने स्वर्ण के भण्डार को बढ़ा रहे है और इसके फलस्वरूण उसकी कीमतों को प्रभावित करते हैं। अक्टूबर 2009 में भारत ने भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से स्वर्ण खरीदा था। इस पृष्ठभूमि में पेपर में यह जॉंच की गई है कि क्या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्वर्ण खरीदना एक आरक्षित निधि प्रबंध की रणनीति थी और क्या ऐसी खरीद से स्वर्ण मूल्य प्रवृत्ति पर कोई असर पड़ा है। विश्लेषण के दौरान पेपर विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि के घटक में स्वर्ण की अधिकतम मात्रा, वैश्विक संकट के विशेष संदर्भ में स्वर्ण की खरीद के पीछे केंद्रीय बैंकों का विवेक इत्यादि जैसे विषयों पर चर्चा की गई। अध्ययन के निष्कर्ष यह दर्शाते है कि अधिकतर उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों ने हाल के वैश्विक संकट के मद्देनज़र स्वर्ण का नया स्टॉक खरीदा अथवा उनके पास पहले से मौजूदा स्वर्ण को बेचना बंद कर दिया। साथ ही, पेपर में यह कहा गया है कि भारत द्वारा स्वर्ण की खरीद से स्वर्ण मूल्य प्रवृत्ति पर कोई असर नहीं पड़ा और अत: स्वर्ण का स्टॉक वैश्विक संग्रहण प्रवृत्ति के अनुरूप है। पेपर में कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय संकट जैसी अनिश्चित अवधियों के दौरान आधिकारिक आरक्षित निधियों के एक भाग के रूप में स्वर्ण की पर्याप्त मात्रा धारण करने का मज़बूत आर्थिक विवेक होने के बावजूद भारत के लिए ''स्वर्ण मात्रा का अधिकतम स्तर'' को संबोधित करना कठिन है। पेपर के समापन में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि हाल के वैश्विक वित्तीय संकट ने यह दोहराया है कि विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि के रूप में स्वर्ण समष्टि तौर से आर्थिक प्रबंध में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस वर्ष अप्रैल में ''भारतीय रिज़र्व बैंक कार्यकारी पेपर श्रृंखला (आरबीआइ-डब्ल्यूपी) शुरू की ताकि रिज़र्व बैंक के स्टाफ को अपने अनुसंधान अध्ययन को प्रस्तुत करने के लिए एक मंच मिले और जानकार अनुसंधानकर्ताओं से प्रतिसूचना प्राप्त हो सकें। आरबीआइ वर्किंग पेपर श्रृंखला सहित रिज़र्व बैंक के सभी अनुसंधान प्रकाशनों में व्यक्त विचार आवश्यक रूप से रिज़र्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाते हैं और इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों के प्रतिनिधित्व के रूप में उनकी रिपोर्ट नहीं की जानी चाहिए। इन पेपरों पर प्रतिसूचना यदि है, तो उसे अनुसंधान अध्ययनों के संबंधित लेखकों को भेजी जा सकती है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/ 564 |