आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला संख्या 7/2017 भारत में कॉल मनी स्प्रेड क्या बताता है?
10 अप्रैल 2017 आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला संख्या 7/2017 भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वेबसाइट पर आज भारतीय रिजर्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के तहत* सुनील कुमार, आनंद प्रकाश और कृष्ण एम कुशावाहा द्वारा लिखित "भारत में कॉल मनी स्प्रेड क्या बताता है?" नामक वर्किंग पेपर प्रकाशित किया। नए तरलता प्रबंधन ढांचे के तहत जुलाई 2013 से दिसंबर 2016 तक ओवरनाईट अंतर बैंक दर के विभिन्न चालकों पर अध्ययन केंद्रित है। दैनिक आंकड़ों पर न्यूवे-वेस्ट अनुमानक और विभिन्न जीएआरसीएच मॉडल के साथ ओएलएस लागू करते हुए अध्ययन बताता है कि तरलता की स्थिति अर्थात घाटे, वितरण और अनिश्चितता कॉल मनी दर स्प्रेड पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। हालांकि, सितंबर 2014 में सही ताल-मेल के साथ तरलता प्रबंधन परिचालनों की शुरूआत के बाद तरलता अनिश्चितता के प्रभाव में सुधारात्मक बदलाव आया है। अन्य कारक, जैसे, तिमाही-समाप्ति फेनॉमिनन और तरलता प्रबंधन ढांचे में संरचनात्मक परिवर्तन भी कॉल मनी दर स्प्रेड को प्रभावित करते हैं। * रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्वरूप का ध्यान रखा जाए। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/2725 |
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