भारतीय रिज़र्व बैंक ने दी सिटिज़न्स अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., जालंधर, पंजाब पर मौद्रिक दंड लगाया
26 अक्तूबर 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दी सिटिज़न्स अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., जालंधर, पंजाब भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 26 अक्टूबर 2021 के आदेश द्वारा दी सिटिज़न्स अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., जालंधर, पंजाब (बैंक) पर आरबीआई द्वारा दिनांक 1 जुलाई 2015 को जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले - यूसीबी’ संबंधी मास्टर परिपत्र डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी) एमसी सं.12/09.14.000/2015-16 में निहित कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹7.00 लाख (सात लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर उसके निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ- साथ यह पता चला कि उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन/उल्लंघन किया गया है, जैसे एनपीए की गैर-पहचान, आस्तियों का गलत वर्गीकरण और आस्तियों के गलत वर्गीकरण के कारण किए गए अपर्याप्त प्रावधान। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। बैंक के उत्तर तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन/उल्लंघन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी : 2021-2022/1098 |
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