भारतीय रिज़र्व बैंक ने परवाणू अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, परवाणू पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने परवाणू अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, परवाणू पर मौद्रिक दंड लगाया
18 जून 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने परवाणू अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, परवाणू पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने, दिनांक 18 जून 2021 के आदेश द्वारा परवाणू अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, परवाणू (बैंक) पर, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी - ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधी मामले-यूसीबी’ पर दिनांक 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र DCBR.BPD.(PCB) MC No.12/09.14.000/2015-16 और 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध-यूसीबी' पर दिनांक 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र DCBR.CO.BPD.(PCB) MC No.13/13.05.000/2015-16 में निहित रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹6.00 लाख (छह लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में इसके निरीक्षण रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ, उक्त निदेशों अर्थात, एनपीए की पहचान न करना, आस्तियों का गलत वर्गीकरण, आस्तियों के गलत वर्गीकरण के कारण किए गए अपर्याप्त प्रावधान और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं और उधारकर्ताओं के समूह के मामले में एक्सपोजर मानदंडों का अननुपालन संबंधी अननुपालन/ उल्लंघन करने का पता चला। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेशों के अननुपालन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। बैंक के उत्तर और वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक के निदेशों का अननुपालन/ उल्लंघन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/394 |