भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शहरी सहकारी बैंकों की पूंजी में वृद्धि से - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शहरी सहकारी बैंकों की पूंजी में वृद्धि से
22 नवम्बर 2006
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शहरी सहकारी बैंकों की पूंजी में वृद्धि से
संबंधित मामलो की जांच के लिए कार्यदल की रिपोर्ट जारी की गई
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आज अपनी वेबसाइट www.org.in पर प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) की शेयर पूंजी मामले की जांच तथा उनकी पूंजी निधि में वृद्धि तथा विकल्प लिखतों/अवसरों की पहचान के लिए कार्यदल की रिपोर्ट जारी कर दी है। कार्यदल की सिफारिशों पर विचार/सुझाव भारतीय रिज़र्व बैंक को ई-मेल से nsvishwanathan@rbi.org.in अथवा ssbarik@rbi.org.in पर भेजे जा सकते हैं। प्रतिसूचना फैक्स सं.91-22-24974030 पर भी भेजी जा सकती है। कार्यदल ने चार नई लिखतों की पहचान की है जिससे शहरी सहकारी बैंक दीर्घावधि पूंजी/पूंजीवत् निधियों में वृद्धि कर सकते हैं। ये लिखत हैं ।
i. अप्रत्याभूत, गौण, अपरिवर्तनिय प्रतिदेय डिबेंचर/बाण्ड,
ii. विशेष शेयर जो मताधिकार-रहित प्रकृति के हैं (सदस्यता अधिकार वाले शेयरों के प्रतिकूल) जिन्हें किसी प्रिमियम पर भी जारी किया जा सकता है,
iii. प्रतिदेय संचयी अधिमान शेयर, और
iv. 15 वर्ष से अधिक की परिपक्वता वाली दीर्घावधि गौण जमाराशियां।
कार्यदल ने सिफारिश की है कि विशेष शेयरों जो मताधिकार-रहित प्रकृति (सदस्यता अधिकार वाले शेयरों के प्रतिकुल) के है, जिन्हें किसी प्रिमियम पर भी जारी किया जा सकता है के माध्यम से प्राप्त की गई निधियों की टियर-I पूंजी तथा शेष को टियर-II पूंजी के रूप में गणना की जा सकती है। इन लिखतों में से किसी को भी विक्रय विकल्प प्राप्त नहीं होगा लेकिन रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति से बैंक द्वारा मांग विकल्प का प्रयोग किया जा सकता है। डिबेंचरों/बाण्डों तथा विशेष शेयरों के मामले में मांग विकल्प/प्रतिदान संगत समय पर जोखिम भारित परिसंपत्ति के लिए निर्धारित पूंजी को पूरा करते हुए बैंक की अवरोध शर्त (लॉक-इन क्लॉज) के अधीन होगा।
चूंकि शहरी सहकारी बैंक राज्य के सहकारी समिति अधिनियम जिनके अंतर्गत वे पंजीकृत हैं अथवा बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम (2002) जिनके प्रावधान कतिपय मामलो में एकसमान नहीं हैं, की सीमा के अंतर्गत आते हैं। कार्यदल ने इसके द्वारा प्रस्तावित कुछ लिखतों के निर्गम को सुविधाजनक बनाये जाने के लिए इनके अंतर्गत बनाये गये अधिनियमों/नियमों में आवश्यक संशोधन का सुझाव दिया है।
यह स्मरण होगा कि वर्ष 2006-07 के वार्षिक नीतिगत वक्तव्य में शहरी सहकारी बैंकों की शेयर पूंजी के मामले की जांच तथा उनकी पूंजी निधियों में अभिवृद्धि के लिए विकल्प लिखतों/अवसरों की पहचान हेतु एक कार्यदल गठित करने की घोषणा की गयी थी। तदनुसार, श्री एन.एस.विश्वनाथन, प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, शहरी सहकारी बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में एक कार्यदल का गठन किया गया था। इस दल के अन्य सदस्यों में श्री अनील दिगीकर*, सहयोग आयुक्त एवं निबंधक, सहयोग समितियां (आरसीएस), महाराष्ट्र सरकार, श्री जे.सी.शर्मा, सहयोग आयुक्त एवं आरसीएस, आंध्र प्रदेश सरकार, श्री डी.कृष्णा, मुख्य कार्यपालक, राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण समितियां लिमिटेड महासंघ (एनएएफसीयूबी), प्रोफेसर मुकुंद घैसास, अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य शहरी सहकारी बैंक महासंघ तथा श्री के.डी.जकारियास, विधि परामर्शदाता, भारतीय रिज़र्व बैंक शामिल हैं।
*डॉ.एस.के.शर्मा के स्थान पर, जो सहयोग आयुक्त एवं निबंधक सहयोग समितियां, महाराष्ट्र सरकार के रूप में प्रारंभ में इस कार्यदल के सदस्य थे।
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/697