सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसइ) के लिए ऋण गारंटी निधि न्यास की ऋण गारंटी योजना की समीक्षा के लिए कार्य-दल की रिपोर्ट जारी - आरबीआई - Reserve Bank of India
सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसइ) के लिए ऋण गारंटी निधि न्यास की ऋण गारंटी योजना की समीक्षा के लिए कार्य-दल की रिपोर्ट जारी
6 मार्च 2010 सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसइ) के लिए ऋण गारंटी निधि न्यास की सूक्ष्म और लघु उद्यमों को संपार्श्विकतामुक्त ऋणों के लिए सीमा को वर्तमान में 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक अधिदेशात्मक रूप से दुगुना किए जाने, गारंटी कवर में बढ़ोतरी, कतिपय शर्तों के अधीन सीजीटीएमएसइ द्वारा संपार्श्विकतामुक्त ऋणों के लिए गारंटी शुल्क का आमेलन, महिला उद्यमियों तथा उत्तर-पूर्व के उद्यमियों के लिए कम गारंटी शुल्क, सीजीटीएमएसइ के पास दावे दर्ज कराने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण तथा इस योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाया जाना ऋण गारंटी निधि न्यास की ऋण गारंटी योजना की समीक्षा के लिए गठित कार्य-दल की कुछ अनुशंसाएँ हैं। इस कार्य-दल के गठन की घोषणा वार्षिक नीति वक्तव्य (पैराग्राफ 114) में की गई थी। यह रिपोर्ट माननीय वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा 6 मार्च 2010 को रिज़र्व बैंक के प्लैटिनम जयंती समारोह के एक भाग के रूप में जारी की गई। 1. संपार्श्विकतामुक्त ऋण सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र को संपार्श्विकतामुक्त ऋण की सीमा वर्तमान स्तर के 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए तक की जाए और इसे सभी बैंकों के लिए अधिदेशात्मक बनाया जाए। 2. गारंटी शुल्क क) सूक्ष्म उद्यमों को संपार्श्विकतामुक्त ऋण के लिए गारंटी शुल्क इस प्रावधान के तहत सीजीटीएमएसई द्वारा वहन/आमेलन किया जाए कि न्यास गतिशील रूप से विकसित दावों के वितरण की मॉडलिंग पर आधारित अधोमुखी और उर्ध्वमुखी दोनों गारंटी शुल्कों को समायोजित करने के लिए स्वतंत्र हों। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सीजीटीएमएसई दीर्घावधि में स्व-वित्तपोषित और स्व-धारणीय बना रहे। ख) सीजीटीएमएसई 1% प्रतिवर्ष मिश्रित, समस्त गारंटी शुल्क प्रभारित करे तथा महिला उद्यमियों, सूक्ष्म उद्यमों और सिक्किम सहित उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थिति इकाईयों को प्रभार योग्य गारंटी शुल्कों के प्रति समुचित रूप से अधोमुखी होकर समरूप बना रहे। यह न्यास कार्यदल द्वारा प्रस्तावित मूल्य निर्धारण/मूल्यांकन मॉडेल के आधार पर प्रभारित किए जानेवाले गारंटी शुल्क की वार्षिक समीक्षा भी करे। ग) भारत सरकार गारंटी शुल्क और न्यास के निवेश पर आय दोनों को आयकर से छूट देने पर विचार करे जैसाकि ऐसी गैर-लाभकारी ऋण गारंटी संगठनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रथा है। 3. गारंटी कवर की सीमा 5 लाख रुपयों से 10 लाख रुपयों तक संपार्श्विकतामुक्त ऋण सीमा बढ़ाए जाने की अनुशंसा के अनुरूप चूक के रूप में 85 प्रतिशत की राशि तक गारंटी कवर को 10 लाख रुपए तक सूक्ष्म उद्यमों को ऋण सुविधाओं पर लागू किया जाए। तथापि, 10 लाख रूपए से अधिक और 50 लाख रुपए तक की ऋण सुविधाओं के लिए गारंटी कवर की सीमा 75 प्रतिशत होगी तथा 50 लाख रुपए से अधिक और 1 करोड़ रुपए तक की ऋण सुविधाओं में 50 लाख रुपए तक और 50 लाख रुपए से अधिक की राशि के 50 प्रतिशत तक के लिए सीमा इस याजना के विद्यमान प्रावधानों के अनुसार 75 प्रतिशत होगी। 4. गारंटी न्यास की मूल आधारभूत निधि यदि सीजीटीएमएसई कार्यदल द्वारा प्रस्तावित सैद्धांतिक रूप से कठिन और प्रौद्योगिक रूप से मज़बूत मॉडेल का उपयोग करता है तो केवल 0.1 प्रतिशत का अवसर होगा कि इस निधि को छुआ जा सके। तथापि, जैसे और जब अपेक्षित होगा भारत सरकार निधि की मूल आधारभूत निधि में अभिदान कर सकती है। 5. प्रक्रिया का सरलीकरण क) वर्तमान में बैंकों को गारंटी न्यास के पास दावों दर्ज कराने के पहले सभी मामलो में कानूनी कार्रवाई शुरू करनी पड़ती है। छोटे ऋण खातों के संबंध में दावें दर्ज कराने के लिए प्रक्रिया के सरलीकरण की दृष्टि से गारंटी माँगने के लिए पूर्व-शर्त के रूप में कानूनी प्रक्रियाएं शुरु करने को 50 हजार रुपए तक की ऋण सुविधाओं के लिए हटा दिया जाए। ख) न्यास की सदस्य ऋण दाता संस्थाओं (एमएलआइ) को अनुमति दी जाए की वे वर्तमान में एक वर्ष के भीतर की अवधि निर्धारण के बदले अनर्जक आस्तियों के रूप में खाते के वर्गीकरण की तारीख से दो वर्षों की अवधि के भीतर गारंटी की माँग करें। ग) सदस्य ऋण दाता संस्थाओं (एमएलआइ) को न्यास द्वारा भुगतान अंतिम दावा वसूली के निर्णय की समयावधि अर्थात् निर्णय प्राप्त करने के बारह वर्षों के बाद ही न्यास द्वारा अंतिम दावा जारी किए जाने की प्रक्रिया के बदले वसूली के निर्णय प्राप्त होने के तीन वर्षों के बाद किए जाए। 6. योजना के बारे में जागरुकता बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीइओ) अपने फील्ड स्टाफ के मूल्यांकन के एक मानदण्ड के रूप में इस संबंध में कार्यनिष्पादन करने सहित सीजीएस कवर का लाभ उठाने के लिए शाखा स्तरीय कार्मिकों को मज़बूती से प्रोत्साहित करने के मामले में समग्र और संपूर्ण स्वामित्त्व स्वीकार करें। इस कार्यदल की अनुशंसाओं के कार्यान्वयन का परिणाम इस गारंटी योजना के उपयोग के परिवर्धन के रूप में हो तथा वर्तमान में शामिल और इससे बाहर के सूक्ष्म और लघु उद्यमों को ऋण की गुणवत्ता और परिमाण में बढ़ोत्तरी को सुविधा प्रदान करे जिससे साथ-ही-साथ निरंतर समावेशित वृद्धि हो सके। पृष्ठिभूमि सूक्ष्म और लघु उद्यम (एमएसई) क्षेत्र को ऋण प्रवाह में आवश्यक तेज़ी के संबंध में जो समावेशित और समान वृद्धि तथा व्यापक आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, वार्षिक नीति वक्तव्य वर्ष 2009-10 (पैराग्राफ 114) में घोषणा की गई थी कि "ऋण गारंटी योजना की समीक्षा के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों पर स्थायी परामर्शदात्री समिति को कहा जाए ताकि यह और प्रभावी बन सके।" इस घोषणा के अनुपालन में श्री वी.के.शर्मा, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में एक कार्यदल का गठन किया गया था। इस दल के विचारार्थ विषय थे : i) ऋण गारंटी योजना की कार्यपद्धति की समीक्षा करना तथा इसके उपयोग को बढ़ाने के लिए उपाय सुझाना तथा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को संपार्श्विकतामुक्त ऋणों के बढ़े हुए प्रवाह को सुविधा प्रदान करना; ii) कवर प्राप्त करने के लिए विद्यमान प्रक्रियाओं और अपेक्षाओं के सरलीकरण हेतु सुझाव देना तथा सीजीटीएमएसइ योजना के अंतर्गत दावों की माँग करना; iii) सूक्ष्म और लघु उद्यम पोर्टफोलियो के लिए संपूर्ण पण्यावर्त गारंटी की संभावना की जाँच करना और iv) अन्य कोई विषय। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, भारत सरकार के प्रतिनिधि, बैंक और आइबीए इस कार्य-दल के सदस्य थे तथा निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी इसके विशेष आमंत्रिती थे। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/1209 |