गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (प्राथमिक व्यापारियों को छोड़कर) के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण के मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (प्राथमिक व्यापारियों को छोड़कर) के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण के मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता
26 मई 2014 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (प्राथमिक व्यापारियों को छोड़कर) के नियंत्रण के भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज जमा स्वीकार करने वाली और जमा स्वीकार नहीं करने वाली सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को निदेश जारी किए हैं जिनमें सूचित किया गया है कि किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के शेयरों के नियंत्रण/अधिग्रहण; या किसी अन्य संस्था के साथ एनबीएफसी के विलय/आमेलन; या किसी संस्था का एनबीएफसी के साथ विलय/अधिग्रहण के मामले में रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता है, ऐसा करने से अधिग्रहणकर्ता/अन्य संस्था का एनबीएफसी पर नियंत्रण होगा या इसके परिणामस्वरूप एनबीएफसी की चुकता पूंजी के 10 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता का अधिग्रहण/अंतरण होगा। उपर्युक्त आवश्यकता सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू है, चाहे यह जमा स्वीकार करने वाली या जमा स्वीकार नहीं करने वाली हो। अन्य कंपनियों या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ विलय या आमेलन का आदेश प्राप्त करने के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 391-394 या कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 230-233 के अंतर्गत न्यायालय या न्यायाधिकरण में जाने से पहले रिज़र्व बैंक का पूर्व लिखित अनुमोदन लेना भी अपेक्षित होगा। उपर्युक्त की दृष्टि से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के भावी अधिग्रहणकर्ताओं के संज्ञान में यह लाया जाता है कि रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना किसी एनबीएफसी के शेयरों के अधिग्रहण/उसके नियंत्रण का परिणाम रिज़र्व बैंक द्वारा प्रतिकूल विनियामक कार्रवाई के रूप में होगा जिसमें संबंधित एनबीएफसी का पंजीकरण प्रमाण-पत्र रद्द करना शामिल है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/2292 |