रिज़र्व बैंक ने बंगलूर मर्कन्टाइल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, बंगलूर का लाइसेन्स रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने बंगलूर मर्कन्टाइल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, बंगलूर का लाइसेन्स रद्द किया
26 जून 2006
रिज़र्व बैंक ने बंगलूर मर्कन्टाइल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, बंगलूर का लाइसेन्स रद्द किया
बंगलूर मर्कन्टाइल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, बंगलूर (कर्नाटक) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और कर्नाटक सरकार के परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के चलते जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 23 जून 2006 को कारोबार की समाप्ति पर जारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 1,00,000/- रुपये की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियां वापस पाने का हकदार होता है।
रिज़र्व बैंक ने 8 अक्तूबर 1998 को बैंक को बैंकिंग कारोबार आरंभ करने के लिए लाइसेन्स प्रदान किया था। बैंक के प्रबंधन के विरूद्ध कतिपय सदस्यों द्वारा शिकायत दर्ज किये जाने के कारण अगस्त 2000 में बैंक की खाता बहियों की विशेष छानबीन की गयी थी। यह पाया गया था कि निदेशक बोर्ड ने मानदण्ड़ों/कार्य पद्धतियों का उल्लंघन किया था जिसका सामान्यतः बैंकिंग कारोबार करते समय पालन किया जाता है। साथ ही रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विनिर्देशों/निर्देशों/निवेश मानदण्ड़ों का भी उल्लंघन किया था। अतः जन-हित में और जमाकर्ताओं के हित में निदेशक बोर्ड का अधिक्रमण किया गया और बैंक का कार्यभार संभालने के लिए आरसीएस, कर्नाटक द्वारा प्रशासक नियुक्त किया गया।
अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत बैंक की 30 सितंबर 2000 को वित्तीय स्थिति संबंधी सांविधिक निरीक्षण में उसकी वित्तीय स्थिति में गिरावट पायी गयी। इसीलिए जमाकर्ताओं के हित में 8 अक्तूबर 2001 को कारोबार की समाप्ति से अधिनियम की धारा 35क के अंतर्गत निदेशों के अधीन रखा गया।
30 जून 2003 को बैंक की स्थिति की सांविधिक निरीक्षण में यह पाया गया कि बैंक की वित्तीय स्थिति में और अधिक गिरावट पायी गयी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 17 फरवरी 2004 को बैंक को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ भी जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। उसके जवाब में बैंक ने नोटीस में दी गयी सभी अनियमितताओं/विसंगतियों को माना। उसने अपने को गैर-बैंकिंग अस्तित्त्व में परिवर्तित करने और क्रेडिट कॉ-आपरेटिव सोसाइटी के रूप में पंजीकृत करने की इच्छा व्यक्त की ताकि अधिनियम के दायरे से बाहर हो सके। बैंक की इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया। 31 दिसंबर 2004 को बैंक की वित्तीय स्थिति संदर्भीत बैंक की अंतिम सांविधिक निरीक्षण में यह पाया गया कि वित्तीय स्थिति और अधिक अस्थिर हो गयी थी। बैंक कारण बताओ नोटिस के जवाब में वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए किये गये वादे में असफल रही। कुल मिलाकर स्थिति नकारात्मक ही रही और कुल जमाराशियों की 81.2 प्रतिशत से जमाराशियां घट गयी थी। बैंक ने अपने आप को को-आपरेटिव सोसाइटी में परिवर्तित करने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाये थे। अतः 24 जून 2005 को नयी नोटीस देने के बाद और बैंक द्वारा प्रस्तुत जवाब पर विचार करने के बाद और बैंक को पुनरूज्जीवित करने के सभी विकल्प की जाँच करने के बाद रिज़र्व बैंक ने बैंक जमाकर्ताओं के हित में इस बैंक का लाइसेंस रद्द करने संबंधी पराकोटि का निर्णय लिया। इसका लाइसेंस रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार बंगलूर मर्कन्टाइल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के जमाकर्ताओं की बीमाकृत राशि की अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।
लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में बंगलूर मर्कन्टाइल को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री आर.जी.के.पिल्लाई, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बंगलूर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार हैः
डाक पता : 10/3/8, नृपथुंगा रोड, बंगलूर-560001; टेलीफोन नंबर : (080) 22213033; फैक्स नंबर : (080) 22293668 / 22210185; ई-मेल पता :rgkpillai@rbi.org.in
पी.वी.सदानंदन
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/ 1682