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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., सोलापुर (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द

1 दिसंबर 2011

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., सोलापुर (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., सोलापुर (महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 25 नवंबर 2011 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। निबंधक, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 5 फरवरी 1998 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) (इसके बाद "अधिनियम" के नाम से उल्लेख किया गया है)  की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में  रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक के वित्तीय संकेतक जैसे सीआरएआर 7.5% है जब कि विनियामक अपेक्षा 9.0% है। सकल और निवल एनपीए, सकल और निवल अग्रिमों के 39.9% और 34.3% मूल्यांकित किए गए। वर्ष 2005-06 मे मूल्यांकित निवल ह्रास 21.81 लाख हुआ। 31 मार्च 2007, 31 मार्च 2008, 31 मार्च 2009, 31 मार्च 2010 की स्थिति के लिए किए गए निरीक्षण तथा 30 सितंबर 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए की गयी संवीक्षा से पता चला की बैंक के वित्तीय पैरामीटर और अधिक खराब हुए हैँ।

31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक को 5 अप्रैल 2007 के आरबीआई पत्र के माध्यम से पर्यवेक्षी अनुदेश जारी किए गए। विभिन्न तारीखों पर पर्यवेक्षी अनुदेशों में संशोधन किया गया। बैंक की खराब होती वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 35 क के अंतर्गत 6 अप्रैल 2011 के निदेश के माध्यम से बैंक पर 13 अप्रैल 2011 को कारोबार समाप्ति पर छ महीनों के लिए सर्वसमावेशक निदेश लगाए गए। 10 अक्तूबर 2011 के आदेश द्वारा निदेशों को और छ महीनों के लिए बढाया गया।

बैंक का निदेशक मंडल प्रभावी नहीं रहा तथा बैंक की वित्तीय स्थिति खराब होने के लिए और जमाकर्ताओं के हित के विरूद्ध बैंक का कारोबार चलाने के लिए जिम्मेदार था। तदनुसार, सहकारी समितियों के निबंधक, महाराष्ट्र (आरसीएस) को निदेशक मंडल निरस्त करने के लिए 23 मई 2011 को अनुरोध किया गया तथा आरसीएस ने 25 मई 2011 के अपने आदेश द्वारा निदेशक मंडल को रद्द किया तथा प्रशासक मंडल की नियुक्ति की। 31 मार्च 2010 तथा 30 सितंबर 2010 की वित्तीय स्थिति के आधार पर लाईसेंस रद्द करने के लिए बैंक को 31 मई 2011 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ सूचना जारी की गयी। उपर्युक्त कारण बताओ सूचना पर बैंक के 28 जून 2011 तथा 27 जुलाई 2011 के उत्तर की जांच की गयी और उसे संतोषजनक नहीं पाया गया।

अधिनियम की धारा 35  के अंतर्गत 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से बैंक की और अधिक खराब वित्तीय स्थिति तथा अन्य उल्लंघनों का पता चला। उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-) 83.32 लाख हुई तथा मूल्यांकित सीआरएआर (-) 76.5% हो गया। जमाराशि का  38.4%तक मूल्यह्रास हुआ। कुल और निवल एनपीए  कुल और निवल अग्रिम के क्रमश: 73.5% और 68.2% हुआ। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक की मूल्यांकित निवल हानि रु 117.65 लाख हुई जबकि बैंक ने 24.04 लाख हानि रिपोर्ट की थी।

उपर्युक्त गंभीर अनियमितताओं से यह पता चला की बैंक का कारोबार जमाकर्ताओं के हित में नहीं था। बैंक ने अधिनियम की धारा 11(1), 22(3)(क), 22(3)(ख) तथा 24 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया। उपर्युक्त गंभीर कमियों/अनियमितताओं तथा बैंक की खराब वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को 7 सितंबर 2011 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। 26 सितंबर 2011 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी लेकिन उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। इसके अलावा बैंक ने कोई विलयन प्रस्ताव या पुनरुजीवन / पुनर्गठन की योजना प्रस्तुत नहीं की।

अत : भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से भारत अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., सोलापुर (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरुप भारत अर्बन को-आपरेटिव बैंक लि., सोलापुर, महाराष्ट्र को अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है।

इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती के.एस ज्योत्सना, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क का विवरण नीचे दिया गया है:

डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली,  मुंबई - 400018, टेलीफोन सं. (022) 24920225, फैक्स सं. (022) 24935495, ई-मेल

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/860

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