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रिज़र्व बैंक ने भीमाशंकर नागरी सहकारी बैंक लि. औसा, जिला लातूर (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

22 मई 2012

रिज़र्व बैंक ने भीमाशंकर नागरी सहकारी बैंक लि. औसा, जिला लातूर (महाराष्ट्र)
का लाइसेंस रद्द किया

इस तथ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए कि भीमाशंकर नागरी सहकारी बैंक लि., औसा, जिला लातूर (महाराष्ट्र) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और महाराष्ट्र सरकार के परामर्श से बैंक को पुनर्जीवन करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होनेवाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 3 मई 2012 को बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का दिनांक 25 अप्रैल 2012 का आदेश ज़ारी किया। सहकारी समितियों के निबंधक, महाराष्ट्र राज्य से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता, सामान्य नियम और शर्तों के अधीन निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 (एक लाख रुपये मात्र) रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 27 जनवरी 1997 को बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाईसेंस प्रदान किया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2008 को किए गए सांविधिक निरीक्षण के अनुसार बैंक की अनिश्चित वित्तीय स्थिति एवं बैंक की मूल्यांकित निवल संपत्ति (-) 4.83 लाख और सीआरएआर (-) 9.7% थी। सकल एनपीए सकल अग्रिम के 86.4% थी। बैंक को पिछले दो वर्षो में हुये निरंतर घाटे को देखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 36 (1) के तहत भारतीय रिज़र्व बैक ने दिनांक 30 सितम्बर 2008 तथा दिनांक 13 जनवरी 2009 को जारी परिचालन निर्देशानुसार नई जमाराशि लेने, नये त्रृण एवं अग्रिमो की स्वीकृतियों पर रोक लगा दी । अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के अनुसार किए गए सांविधिक निरीक्षण से बैंक की नाजुक वित्तीय स्थिति तथा अन्य उल्लंघनों का पता चला। बैंक की मूल्यांकित निवल संपत्ति (-) 6.47 लाख और सीआरएआर (-) 12.4% थी। सकल एनपीए सकल अग्रिम के 80.0% था। बैंक की मूल्यांकित निवल हानि 12.75 लाख थी। 31 मार्च 2009 की स्थिति के अनुसार बैंक की वित्तीय स्थिति अनिश्चित हो जाने तथा उसमें और अधिक ह्रास होने के कारण बैंक के संचालक मंडल को सहकारी आयुक्त और निबंधक सहकारी समितियां, पुणे, महाराष्ट्र के दिनांक 11 अगस्त 2009 को जारी आदेशानुसार बरर्खास्त किया गया। 31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत किए गए सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि मूल्यांकित निवल संपत्ति (-) 11.03 लाख , सीआरएआर (-) 30.3%था, सकल एनपीए सकल अग्रिम के 96.5% था तथा जमाराशि की 20.3% हानी हुई। अत: अधिमान भुगतान रोकने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए अधिनियम की धारा 35 क(1) के अंतर्गत, 24 मार्च 2011 को कारोबार समाप्ति के बाद छह माह के लिये बैंक को निदेशाधीन रखा गया था, जिसे समीक्षा के उपरांत दो बार 23 सितम्बर 2012 तक बढाया गया। 31 मार्च 2011 को बैंक की वित्तीय स्थिति और अधिक खराब हो गई मूल्यांकित निवल संपत्ति (-) 13.15 लाख, सीआरएआर (-) 22.6%, सकल एनपीए सकल अग्रिम के 98.1% तथा जमाराशि पर हुई हानि 29.2% थी।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 के अंतर्गत बैंक को 30 जनवरी 2012 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस ज़ारी किया। कारण बताओ नोटिस पर बैंक ने 13 फरवरी 2012 के अपने उत्तर में अनियमितताएं/ टिप्पणियों को स्वीकार किया तथा कारण बताओ सूचना में दी गयी कमियों पर कोई मत व्यक्त नहीं किया। बैंक ने अपने पत्र में वयक्त किया कि बैंक को दिये गये लाईसेंस को रद्द करने पर कोई आपत्ति नही है। बैंक ने पुनरुज्जीवन/नवीनीकरण की कोई जीवनक्षम योजना प्रस्तुत नहीं की या किसी अन्य मज़बूत शहरी सहकारी बैंक के साथ विलय का प्रस्ताव नहीं दिया। विलयन के प्रस्ताव के अभाव में तथा बैंक की अनिश्चित वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए बैंक के पुनरुज्जीवन की कोई आशा नहीं थी तथा बैंक को जारी रखने से जमाराशि का और अधिक ह्रास ही होगा जो जनहित में नहीं है।

उपर्युक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि

  • अधिनियम की धारा 11(1), 22(3)(क) तथा 22(3)(ख) के प्रावधानों का बैंक अनुपालन नहीं कर रहा था।

  • बैंक अपने विद्यमान तथा भावी जमाकर्ताओं को भुगतान करने में असमर्थ था।

  • बैंक का कारोबार जमाकर्ताओं के हित के विपरित किया जा रहा था।

  • बैंक की वित्तीय स्थिति के कारण पुनरुज्जीवन की संभावना नहीं थी।

  • सभी संभावनाओं में यदि बैंक को कारोबार करने की अनुमति दी जाती तो इसका जनहित पर विपरित प्रभाव होगा।

अत: उपरोक्त परिस्थतियों को ध्यान में रखते हुये भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में बैंक का लाइसेंस रद्द किया । लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से श्री भीमाशंकर नागरी सहकारी बैंक लि., औसा, जिला लातूर (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अंतर्गत निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के परिणामस्वरूप भीमाशंकर नागरी सहकारी बैंक लि., औसा, जिला लातूर (महाराष्ट्र) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत जमाराशियाँ स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री एस. त्यागाराजन, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक, नागपुर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

डाक पता : शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, अतिरिक्त कायार्लय भवन, ईस्ट कोर्ट रोड, नागपुर- 440 001 टेलीफोन नंबर : (0172) 2806835 फैक्स नंबर : (0172) 2552896 ई-मेल

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1855

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