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रिज़र्व बैंक ने चोपड़ा अर्बन को-ओपरेटिव बैंक लि., जलगॉव (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

31 मई 2011

रिज़र्व बैंक ने चोपड़ा अर्बन को-ओपरेटिव बैंक लि., जलगॉव (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया

इस तथ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए कि चोपडा अर्बन को-ओपरेटिव बैंक लि., जलगॉव (महाराष्ट्र) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और महाराष्ट्र सरकार के परामर्श से  बैंक को  पुनर्जीवन  करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होनेवाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 24 मई, 2011 को कारोबार  की समाप्ति के बाद बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश ज़ारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र राज्य से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता, निपेक्ष बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) से 1,00,000 (एक लाख रुपये मात्र) रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

रिज़र्व बैंक ने 30 अक्तूबर 1999 को बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाईसेंस प्रदान किया था। 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक के सीआरएआर का आकलन (-) 14.4% है, नकारात्मक निवल संपत्ती (-) रु 184.43 लाख है तथा जमाराशि में 13.1% तक मूल्यह्रास हुआ है। उस तारीख को सकल एनपीए कुल ऋण एवं अग्रिमों के  75.4% थी।

31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक की स्थिति अत्यधिक खराब हुई। इससे न केवल बैंक की स्वाधिकृत निधि समाप्त हुई बल्कि जमाराशियों में 25.4% तक मूल्यह्रास भी हुआ। बैंक का सीआरएआर निर्धारित 9% की तुलना में (-) 22.8% हो गया। 31 मार्च, 2010 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए 567.04 लाख रुपए घाटे के रूप में मूल्यांकन किया गया। बैंक ने वैयक्तिक जमानत एवं कैश क्रेडिट शीर्ष के अंतर्गत बडी मात्रा में ऋण मंज़ूर करते हुए ऋण राशि को बचत खाते में जमा किया था, जिसे बाद में बैंक के अध्यक्ष/निदेशक से जुड़ी सोसाईटियों में अंतरित करने हेतु अनुमति दी गई थी। बैंक ने एसएलआर रखने में भी चूक की थी।

अनिश्चित वित्तीय स्थिति के कारण 06 सितंबर 2010 के निर्देश सं शबैंवि.केंका.बीएसडी1.सं डी.10/12.22.467/2010-11 के माध्यम से बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35(क) के अंतर्गत बैंक को निर्देश जारी किए गए।

उपर्युक्त गंभीर अनियमितताओं से पता चला है कि बैंक का कारोबार जमाकर्ताओं के हित के विपरीत चल रहा है। बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 11(1), 22(3) "क" और "ख" तथा 24 का अनुपालन नहीं किया था। सहकारी समितियों के निबंधक ने अपने 16 सितंबर, 2010 के आदेश द्वारा बैंक के निदेशक मंडल का अधिक्रमण करते हुए प्रशासक की नियुक्ति की थी। बैंक ने 27 सितंबर, 2010 के पत्र के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुति देते हुए कहा कि पिछले तीन महीनों में गैर निष्पादित ऋणों की वसूली करते हुए एवं शेयर पूँजी को बढाते हुए बैंक ने अच्छी मात्रा में तरक्की की है। बैंक ने आगे यह भी बताया कि अब सीआरएआर एवं निवल संपत्ति सकारात्मक है तथा जमा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं हुई है और सीआरआर एवं एसएलआर रखने में भी कोई चूक नहीं है। वित्तीय स्थिति सुधरने के संबंध में बैंक के दावे के आधार पर 26 अक्तूबर से 28 अक्तूबर, 2010 की अवधि के दौरान उसे परखने के लिए एक संवीक्षा की गई। संवीक्षा के दौरान यह पाया गया कि बैंक की वित्तीय स्थिति और बिगड़ गई है।

उपर्युक्त गंभीर अनियमितताओं/विसंगतियों तथा बैंक की खराब वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को 01 मार्च 2011 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस ज़ारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए 30 अक्तूबर, 1999 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। बैंक ने कारण बताओ नोटिस का जवाब 31 मार्च, 2011 के पत्र के माध्यम से दिया। कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी लेकिन उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। इसके अलावा बैंक के पुनरुज्जीवन/नवीनीकरण की कोई जीवनक्षम योजना प्रस्तुत नहीं की गयी थी तथा किसी अन्य शहरी सहकारी बैंक के साथ विलयन का भी कोई प्रस्ताव नहीं दिया था।

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से चोपडा अर्बन को-ओपरेटिव बैंक लि., जलगॉव (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम के अंतर्गत निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में चोपडा अर्बन को-ओपरेटिव बैंक लि., जलगॉव (महाराष्ट्र) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत जमाराशियाँ स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री आर.एल. दास, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

डाक पता : शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, दूसरी मंजिल, गारमेंट हाउस, डॉ. एनी बसंत रोड, वरली, मुंबई - 400 018.  टेलीफोन नंबर : (022) 2492 8052 फैक्स नंबर : (022) 2493 5495; ई-मेल

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1744

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