भारतीय रिज़र्व बैंक ने मिरज अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मिरज, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मिरज अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मिरज, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया
29 अगस्त 2008
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मिरज अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,
मिरज, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मिरज अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मिरज, महाराष्ट्र अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनरूज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 26 अगस्त 2008 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। निबंधक, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।
रिज़र्व बैंक ने मिरज अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मिरज, महाराष्ट्रराज्य को बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए 19 मार्च 1986 को लाइसेंस मंज़ूर किया था। बैंक की 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। इसलिए उसे बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत 27 अक्तूबर 2006 के पत्र निदेश.सं.शबैंवि.केंका.एनएसबी/डी-238/12.22.151/2005-06 के माध्यम से निदेश जारी किए गए थे जिसके द्वारा प्रति जमाकर्ता रु. 1000/- की जमाराशि की आहरण सीमा निर्धारित करते हुए बैंक परिचालनों को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
मार्च 2007 में रिजर्व बैंक द्वारा बैंक के लेखा पुस्तकों की संवीक्षा के आधार पर रिज़र्व बैंक के 25 जुलाई 2007 के माँग-पत्र द्वारा बैंक के संचालक मंडल की बरखास्तगि की माँग पर निबंधक, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र ने बैंक के संचालक मंडल को बरखास्त किया।
2 अगस्त 2007 को बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा गया था कि बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए 19 मार्च 1986 को अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए और बैंक के समापन की कार्रवाई क्यों न की जाए। बैंक ने वित्तीय परिस्थिति में सुधार लाने तथा किसी सक्षम शहरी सहकारी बैंक के साथ विलयन की संभावना को आजमाने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया।
31 मार्च 2008 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण में देखा गया की उसकी वित्तीय स्थिति ज्यादा खराब हो गई है। जमाराशि में 49.8 प्रतिशत क्षति तथा बैंक के पास किसी विलयन योजना के अभाव को देखते हुए बैंक को पुनरूज्जीवित करने की कोई संभावना नहीं थी। इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में उक्त बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द होने तथा परिसमापन की कार्यवाई शुरू होने के साथ ही मिरज अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मिरज, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अनुसार बीमित राशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।
लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप मिरज अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मिरज, महाराष्ट्र को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू ) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है।
इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री पी.के.अरोरा, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क का विवरण है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली, मुंबई- 400018; टेलीफोन सं. : (022) 24939930-49, सीधी लाइन : (022) 24935348; फैक्स सं. : (022) 24935495; ई-मेल
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/264