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रिज़र्व बैंक ने पूर्णा नागरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पूर्णा, जिला-परभणी (महाराष्ट्र) का लाइसेन्स रद्द किय्

4 जुलाई 2006

रिज़र्व बैंक ने पूर्णा नागरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पूर्णा, जिला-परभणी (महाराष्ट्र) का लाइसेन्स रद्द किया

पूर्णा नागरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पूर्णा, जिला-परभणी (महाराष्ट्र), के अर्थक्षम नहीं रह जाने, और महाराष्ट्र सरकार के परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के चलते जमाकर्ताओं को असुविधा का सामना करने के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 1जुलाई 2006 को जारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 1,00,000/- रुपये की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जमाकर्ताओं के हित की सुरक्षा के लिए बैंक के पुनरुज्जीवन हेतु सभी विकल्पों की जांच करने के बाद अंतिम कदम के रूप में पूर्णा नागरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पूर्णा, जिला परभणी (महाराष्ट्र) का लाइसेन्स रद्द करने का निर्णय लिया। 30 सितंबर 2004 को बैंक के आर्थिक स्थिति के निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। बैंक की बेहद खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए जमाकर्ताओं के हित संरक्षित करने के लिए बैंक को 1 फरवरी 2005 के आदेश से बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35ए के अंतर्गत निदेश जारी किए गए थे। रिज़र्व बैंक ने 29 मार्च 2005 को बैंक को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ भी जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। कारण बताओ नोटिस के प्रत्युत्तर में 18 अप्रैल 2005 के बैंक के उत्तर पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया गया था कि 30 जून 2005 की स्थिति को उसकी वित्तीय स्थिति की समीक्षा की जाए। बैंक की 30 जून 2005 की वित्तीय स्थिति संबंधी निरीक्षण में उसकी वित्तीय स्थिति में और गिरावट पायी गयी। उसकी जमाराशियां चुकता पूंजी और प्रारक्षित निधि का वसूलीयोग्य मूल्य ऋणात्मक होने से क्षीण हो रही थीं। रिज़र्व बैंक ने 2 जनवरी 2006 को बैंक को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ भी जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। चूंकि बैंक के पास पुनरुज्जीवित होने संबंधी कोई व्यवहार्य योजना नहीं थी और उसके पुनरुज्जीवित होने की गुंजाईश बहुत ही कम थी, अत: रिज़र्व बैंक ने बैंक जमाकर्ताओं के हित में इस बैंक का लाइसेंस रद्द करने संबंधी पराकोटि का निर्णय लिया। इसका लाइसेंस रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार पूर्णा नागरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पूर्णा, जिला-परभणी (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं की बीमाकृत राशि की अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।

लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में पूर्णा नागरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पूर्णा, जिला-परभणी (महाराष्ट्र), पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री आनंद प्रकाश, महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, नागपुर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:

डाक पता :
शहरी बैंक विभाग,
भारतीय रिज़र्व बैंक,
नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय,
एडीशनल आफिस बिल्डिंग,
ईस्ट हाइकोर्ट रोड,
नागपुर-440001.
टेलीफोन नंबर : (0712) 2538696;
फैक्स नंबर : (0712) 2552896;
ई-मेल पता :
1.
anandprakash@rbi.org.in;
2.
helpnagpur@rbi.org.in

जी.रघुराज

उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/10

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