रिज़र्व बैंक ने राजलक्ष्मी नागरी सहकारी बैंक लि., धुळे, जिला धुळे, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने राजलक्ष्मी नागरी सहकारी बैंक लि., धुळे, जिला धुळे, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया
13 नवंबर 2009 रिज़र्व बैंक ने राजलक्ष्मी नागरी सहकारी बैंक लि., धुळे, जिला धुळे, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि राजलक्ष्मी नागरी सहकारी बैंक लि., धुळे, जिला धुळे, महाराष्ट्र अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श करके उसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 27 अक्तूबर, 2009 को कारोबार की समाप्ति के बाद उक्त बैंक का लाइसेंस रद्द करने के आदेश जारी किए। सहकारी समितियों के निबंधक, महाराष्ट्र से भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करें। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता सामान्य शर्तों के अंतर्गत निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000/- रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त बैंक को एक सहकारी बैंक के रूप में कार्य करने के लिए 30 जून 1997 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंक के 31 मार्च 2009 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण से प्राप्त निष्कर्षों से पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति नाजुक है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 06 मई 2009 के निदेश शबैंवि.केंका.एनएसबी-I.सं.डी-40/12.22.469/2008-09 के द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत उक्त बैंक को निदेश जारी किए गए जिसके द्वारा उसके बैंकिंग परिचालनों पर प्रतिबंध लगाये गए थे। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 12 मई 2009 को उक्त बैंक को एक नोटिस जारी करके पूछा कि वह कारण बताए कि क्यों न बैंकिंग कारोबार करने के लिए उसे मंज़ूर किए गए लाइसेंस को रद्द कर दिया जाए। कारण बताओ नोटिस के उत्तर की जाँच की गई और यह पाया गया कि बैंक ने अपने पुनर्जीवन के बारे में कोई ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत नहीं की थी। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप राजलक्ष्मी नागरी सहकारी बैंक लि.,धुळे, जिला: धुळे, महाराष्ट्र को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उनकी चुकौती भी शामिल है। अजीत प्रसाद |