22 जुलाई 2009 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा श्री परोला अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,परोला, जिला जलगाँव, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द किया जाना इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि श्री परोला अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,परोला, जिला जलगाँव, महाराष्ट्र अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्शसे उसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 10 जुलाई, 2009 को कारोबार की समाप्ति के बाद उक्त बैंक का लाइसेंस रद्द करने के आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के निबंधक, महाराष्ट्र से भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करें। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता सामान्य शर्तों के अंतर्गत निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000/- रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त बैंक को एक सहकारी बैंक के रूप में कार्य करने के लिए 03 मार्च 2001 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंक के 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए उक्त बैंक के निरीक्षण रिपोर्ट से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए उक्त बैंक के सांविधिक निरीक्षण से प्राप्त निष्कर्षों के आधार बैंक को सूचित किया गया था कि वह अपने पुनर्जीवन के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करे तथा उसे कतिपय पर्यवेक्षी अनुदेश जारी किए गए थे। बैंक के 31 मार्च 2007 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण से प्राप्त निष्कर्षों से पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति में आगे और गिरावट हुई है। बैंक के 31 मार्च 2008 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए सांविधिक निरीक्षण से प्राप्त निष्कर्षों के अनुसार बैंक की वित्तीय स्थिति गंभीर हो गई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 23 जनवरी 2009 के निदेश शबैंवि.केंका.एनएसबी.सं.डी-27/12.22.240/2008-09 के द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत उक्त बैंक को निदेश जारी किए गए जिसके द्वारा उसके बैंकिंग परिचालनों पर प्रतिबंध लगाये गए थे। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 30 जनवरी 2009 को उक्त बैंक को एक नोटिस जारी करके पूछा कि वह कारण बताए कि क्यों न बैंकिंग कारोबार करने के लिए उसे मंज़ूर किए गए लाइसेंस को रद्द कर दिया जाए। कारण बताओ नोटिस के उत्तर की जाँच की गई और यह पाया गया कि बैंक ने अपने पुनर्जीवन के बारे में कोई ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत नहीं की थी। वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए किसी सक्षम कार्ययोजना के अभाव तथा अपेक्षित विनियामक निर्धारणों को हासिल न कर पाने के कारण बैंक के पुनर्जीवन की कोई संभावना नहीं थी। इसलिए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में उक्त बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। बैंक का लाइसेंस रद्द किए जाने और उसके परिसमापन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही श्री परोला अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,परोला, जिला जलगाँव, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप श्री परोला अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,परोला, जिला जलगाँव, महाराष्ट्र को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित लगा दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उनकी चुकौती भी शामिल है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री पी.के.अरोड़ा, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। श्री अरोड़ा का संपर्क ब्योरा नीचे दिया गया है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली, मुंबई - 400018; टेलीफोन (022) 24939930-49, सीधी लाइन (022) 24935348; फैक्स (022) 24935495; इ-मेल भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें . जे.डी.देसाई सहायक प्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/125 |