रिजर्व बैंक ने सिद्धिविनायक नागरी सहकारी बैंक लि., रसायनी, रायगढ़ जिला (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिजर्व बैंक ने सिद्धिविनायक नागरी सहकारी बैंक लि., रसायनी, रायगढ़ जिला (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया
14 अक्टूबर 2013 रिजर्व बैंक ने सिद्धिविनायक नागरी सहकारी बैंक लि., रसायनी, रायगढ़ जिला (महाराष्ट्र) इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि श्री सिद्धिविनायक नागरी सहकारी बैंक लि., रसायनी, रायगढ़ जिला,(महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 25 सितंबर 2013 को कारोबार की समाप्ति के बाद से लागू रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। निबंधक, सहकारी समिति, महाराष्ट्र से भी बैंक के परिसमापन के लिए और परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर ₹ 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 7 जनवरी 1995 को बैंक को बैंकिंग कारोबार आरंभ करने के लिए लाईसेंस प्रदान किया था। 31 मार्च 2010, 31 मार्च 2011 और 31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थिति के अनुसार बैंक के मुख्य वित्तीय संकेतक अनुलग्नक में दिए गए हैं। बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के अनुसार की गई साविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक के सकल एवं निवल एनपीए क्रमशः 15.2% और 8.8 % है। 31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के आधार पर अपने 8 जून 2011 के पत्र के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को परिचालनात्मक विनिर्देश जारी किए हैं। 31 मार्च 2011 की स्थिति के अनुसार के निरीक्षण बैंक के जमा से भारी मात्रा में आकस्मिक आहरण पर प्राथमिकता देते हुए किया गया था। आवश्यक तरलता के अभाव में और किसी प्रकार के अधिमानी भुगतान को रोकने के लिए 29 सितंबर 2011 को कार्यसमाप्ति के बाद से लागू रूप में बैंक पर सर्वसमावेशी निदेश लगाया गया था। समय - समय पर निदेश की वैधता को बढ़ाया भी गया था। उक्त निरीक्षण के दौरान अन्य बातों के साथ-साथ यह भी पाया गया था कि (i) मूल्यांकित निवल मालियत (-) ₹235.59 लाख है (ii) मूल्यांकित सीआरएआर (-) 9.5% है (iii) जमा का ह्रास 6.9% तक रहा है (iv) प्रबंधन की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है (v) 18 अक्तूबर 2010 से 25 फरवरी 2011 के बीच 6 निष्क्रिय बचत बैंक खातों और 4 मीयादी जमा खातों में नए अवास्तविक जमा के माध्यम से धोखाधड़ीयुक्त प्रविष्टियों को पास करने से बड़ी मात्रा में लेखांकन हेराफेरी हुई है (vi) कोंट्रा डेबिट शाखा समायोजन लेखा के माध्यम से जुलाई 2010 के दौरान कुल ₹312.35 लाख की राशि क्रेडिट करते हुए कुछ लोन खातों को बंद किया गया था (vii) बैंक ने बिना किसी प्रकार के जमानत लिए भूतपूर्व उपाध्यक्ष के ससुर और भाभी को लोन प्रदान किया था (viii) 1 अक्तूबर 2010 से 31 मार्च 2011 तक की अवधि के दौरान बैंक ने सीआरआर/ एसएलआर के अनुरक्षण में चूक की है (ix) बैंक ने एकल उधारकर्ता मानक का उल्लंघन किया है (x) बैंक ने अरक्षित लोन के संदर्भ में निदेश का उल्लंघन किया है (xi) क्रेडिट मूल्यांकन और वितरणोपरांत क्रेडिट पर्यवेक्षण संतोषजनक नहीं है (xii) बैंक ने आईआरएसी मानक का अनुपालन नहीं किया है। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेश के उल्लंघन (31 मार्च 2011 की स्थिति के अनुसार निरीक्षण रिपोर्ट में बताए अनुसार) के लिए 6 नवंबर 2012 के सकारण आदेश द्वारा बैंक पर ₹1 लाख का मौद्रिक जुर्माना लगाया था। अब तक बैंक ने जुर्माने का भुगतान नहीं किया है। उक्त निरीक्षण निष्कर्षों के आधार पर पंजीयक, सहकारी समिति, महाराष्ट्र ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए अनुरोध के आधार पर 05 मई 2012 को बैंक के बोर्ड का अधिक्रमण किया और 08 मई 2012 से बैंक प्रशासक के अधीन है। 31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार की गई बैंक के साविधिक निरीक्षण से यह पता चला है कि बैंक की वित्तीय स्थिति में काफी गिरावट हुई है। इस दौरान मूल्यांकित निवल संपत्ति (-) ₹738.97, मूल्यांकित सीआरएआर (-) 25.5% और जमा का ह्रास 23.5% तक रहा। निरीक्षण के दौरान अन्य बातों के साथ यह भी पता चला कि (i) बैंक ने अक्तूबर 2010 से 31 मई 2012 तक एसएलआर के अनुरक्षण और 10 अक्तूबर 2010 से 09 सितंबर 2012 के बीच सीआरआर के अनुरक्षण में चूक की है (ii) एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश लागू एनडीटीएल के 25% के निर्धारित सीमा से नीचे 17.2% पर रहा (iii) बैंक ने परिपक्व जमा पर ब्याज देयता के लिए प्रावधान नहीं किया है (iv) बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुमति लिए बिना चल प्रभार सृजित किया है और इस प्रकार बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 14 ए का उल्लंघन किया है (v) बैंक ने कुल ₹923.45 लाख के धोखाधड़ी वाली प्रविष्टि की है (vi) धोखाधड़ीयुक्त प्रविष्टि समेत बैंक के अरक्षित अग्रिम के प्रति एक्स्पोज़र ₹923.45 लाख है जो पिछले साल के कुल आस्तियों का 21.3% रहा है तथा इस प्रकार 10% की सीमा को लांघा है (vii) बैंक ने आईआरएसी मानक का पालन नहीं किया है (viii) एनपीए वर्गीकरण में बड़ी मात्रा में विचलन है (ix) बैंक का एनपीए प्रबंधन संतोषजनक नहीं है क्योंकि ₹352.72 लाख की वसूली के सम्मुख एनपीए में ₹1519.04 लाख की बड़ी स्लिप्पेज हुई है (x) बैंक की बही में ₹1141.61 लाख की एक धोखाधड़ी बकाया स्थिति में है लेकिन पनवेल शाखा में हुई इस धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार कर्मचारी के विरुद्ध बैंक ने कोई कानूनी कार्रवाई की शुरूवात अभी तक नहीं की गई है। नवंबर 2010 से सितंबर 2011 तक सीआरआर/ एसएलआर अनुरक्षण में चूक के कारण बैंक पर ₹21,97,768 का दंडस्वरूप ब्याज लगाया गया था। लाईसेंस रद्दीकरण के दिनांक तक बैंक ने दंडस्वरूप ब्याज का भुगतान नहीं किया है। 31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थिति के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को 5 जून 2013 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस(एससीएन) जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम, 1949 की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए 7 जनवरी 1995 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए तथा बैंक का परिसमापन क्यों न किया जाए। 2 जुलाई 2013 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस हेतु बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी लेकिन वह संतोषजनक नहीं पाया गया। बैंक ने यह सूचित किया है कि प्रशासक दो बैंकों के साथ विलयन की संभावना पर विचार कर रहे हैं। फिरभी, किसी बैंक से अभी तक कोई ठोस विलयन प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। उक्त से अंतिम रूप में यह स्थापित होता है कि i. बैंक अपने वर्तमान और भविष्य के जमाकर्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। ii. बैंक के कार्यकलाप जमाकर्ताओं के हिट के विरुद्ध हो रहे हैं। iii. बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 11(1), 22(3) (क),23(3)(ख) का अनुपालन नहीं किया जा रहा है iv. बैंक की वित्तीय स्थिति पुनरुज्जीवन के लिए कोई विकल्प नहीं देता। v. बैंक को आगे बैंकिंग कारोबार करने की अनुमति देने से सभी प्रकार से जन हित प्रभावित होगी। इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया है। लाइसेन्स रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से श्री सिद्धिविनायक नागरी सहकारी बैंक लि., रसायनी, रायगढ़ जिला, (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम,1961 के अंतर्गत बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रक्रिया निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन प्रारंभ किया जाएगा। लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में श्री सिद्धिविनायक नागरी सहकारी बैंक लि., रसायनी, रायगढ़ जिला, (महाराष्ट्र) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत परिभाषित 'बैंकिंग' कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती सुचित्रा मौर्या, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय से सपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है: डाक पता : शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, दूसरी मंजिल, गारमेंट हाऊस, डॉ ए बी रोड, वरली, मुंबई – 400018 श्री सिद्धिविनायक नागरी सहकारी बैंक लि., रसायनी, रायगढ़ जिला (महाराष्ट्र) के मुख्य वित्तीय संकेतक
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₹ लाख में)
अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/778 |