रिज़र्व बैंक ने श्री संपिगे सिद्धेश्वरा अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) का लाइसेन्स रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने श्री संपिगे सिद्धेश्वरा अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) का लाइसेन्स रद्द किया
28 जून 2006
रिज़र्व बैंक ने श्री संपिगे सिद्धेश्वरा अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) का लाइसेन्स रद्द किया
श्री संपिगे सिद्धेश्वरा अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और कर्नाटक सरकार के परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के चलते जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 26 जुलाई 2006 को कारोबार की समाप्ति पर जारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से 1,00,000/- रुपये की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियां वापस पाने का हकदार होता है।
रिज़र्व बैंक ने 12 मार्च 1986 को बैंक को बैंकिंग कारोबार आरंभ करने के लिए लाइसेन्स प्रदान किया था। अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 दिसंबर 2003 को बैंक की वित्तीय स्थिति संबंधी सांविधिक निरीक्षण में पाया गया कि उसकी वित्तीय स्थिति में 30 सितंबर 2002 को उसकी वित्तीय स्थिति के संबंध में किए गए पिछले निरीक्षण की तुलना में भारी गिरावट हुई है। बैंक को ग्रेड घ्ङ के रूप में वर्गीकृत किया गया और निर्णय लिया गया कि इसे पुनरुज्जीवित करने की दृष्टि से पुनर्वास योजना के अंतर्गत इसकी प्रगति की निगरानी की जाए।
30 सितंबर 2004 को इसकी स्थिति के संबंध में बैंक के बाद के निरीक्षण से पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति और खराब हो गई है। इसीलिए जमाकर्ताओं के हित में 18 जून 2005 से अधिनियम की धारा 35क के अंतर्गत बैंक को निदेशों के अधीन रखा गया और इसकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया कि वे प्रति जमाकर्ता 1000 रुपये की सीमा तक ही जमाराशियां चुका सके।
31 मार्च 2005 को बैंक की स्थिति के सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति गंभीर हो गई है। अतएव 01 फरवरी 2006 को बैंक को एक ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत 12 मार्च 1986 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए और बैंक का समापन कर दिया जाए। उस पत्र में बैंक को विशेष रूप से सूचित किया गया था कि इस पत्र की प्राप्ति से एक माह के भीतर यदि उसका कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो यह माना जाएगा कि इस विषय में बैंक को कुछ नहीं कहना है और भारतीय रिज़र्व बैंक तदनुसार आगे की कार्रवाई करेगा। तथापि, बार-बार स्मरण कराए जाने के बावजूद बैंक से कोई उत्तर नहीं मिला। उपर्युक्त परिस्थितियों में यह अर्थ लगाया गया कि बैंक को उसे जारी की गई कारण बताओ नोटिस के प्रत्युत्तर में कुछ नहीं कहना है।
इन सभी तथ्यों के संबंध में भारतीय रिज़र्व इस बात से संतुष्ट है कि इस बैंक को आगे किसी भी प्रकार का बैंकिंग कारोबार करने देने की अनुमति देने से मौजूदा स्थिति और बिगड़ जाएगी। इसलिए रिज़र्व बैंक ने बैंक जमाकर्ताओं के हित में इस बैंक का लाइसेंस रद्द करने संबंधी पराकोटि का निर्णय लिया। इसका लाइसेंस रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार श्री संपिगे सिद्धेश्वरा अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) के जमाकर्ताओं की बीमाकृत राशि की अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।
लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में श्री संपिगे सिद्धेश्वरा अर्बन को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री सी.आर.जी.नायर, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बंगलूर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:
डाक पता : 10/3/8, नृपथुंगा रोड, बंगलूर-560001; टेलीफोन नंबर : (080) 22291696; फैक्स नंबर : (080) 22293668 / 22210185; ई-मेल पता : mailto:crgnair@rbi.org.in
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/144