भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्वामी समर्थ सहकारी बैंक लि., अक्कलकोट,सोलापुर, ( महाराष्ट्र ) का लाइसेंस रद्द - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्वामी समर्थ सहकारी बैंक लि., अक्कलकोट,सोलापुर, ( महाराष्ट्र ) का लाइसेंस रद्द
3 जनवरी 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्वामी समर्थ सहकारी बैंक लि., अक्कलकोट, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि स्वामी समर्थ सहकारी बैंक लि., अक्कलकोट, सोलापुर, (महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 28 दिसंबर 2012 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। पंजीयक, सहकारी समितियां, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तो पर ₹1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 13 फरवरी 1988 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत (इसके बाद "अधिनियम " के नाम से उल्लेख किया गया है) 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की निवल संपत्ति और सीआरएआर को क्रमश: ₹58.16 लाख और 4.2 प्रतिशत आकलित किया गया। अत: बैंक 9% विनियामक पूंजी अपेक्षा पूर्ण नहीं कर रहा था। साथ ही, सकल और निवल एनपीए, सकल और निवल अग्रिमों के क्रमश: 23.4% 18.5% मूल्यांकित किए गए। 1 दिसंबर 2006 के आरबीआई पत्र के माध्यम से बैंक को परिचालनात्मक अनुदेश जारी किए गए जिसके अनुसार अन्य बातों के साथ साथ बैंक पर वैयक्तिक या समूह उधारकर्ताओं को मूल पूंजी के क्रमश: 5% और 10% सीमा तक प्रतिबंध लगाया गया। 31 मार्च 2006; 31 मार्च 2007; 31 मार्च 2008; 31 मार्च 2009 और 31 मार्च 2010 की वित्तीय स्थिति के लिए किए गए बाद के निरीक्षणों से यह पता चला कि बैंक के वित्तीय संकेतकों में गिरावट रही। अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से अन्य बातों के साथ साथ बैंक की और अधिक खराब वित्तीय स्थिति तथा अन्य उल्लंघनों का पता चला। उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-) ₹384.89 लाख हुई तथा मूल्यांकित सीआरएआर (-) 45.3% हो गया। जमाराशि का 22.7% तक मूल्यह्रास हुआ। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक की मूल्यांकित निवल हानि ₹510.77 लाख हुई। बैंक ने फरवरी 2011 में तीन अवसरों पर सीआरआर रखने में तथा चार अवसरों पर एसएलआर रखने में चूक की तथा इसके बाद 21 मार्च 2011 से एसएलआर रखने में चूक जारी रही। निदेशक मंडल संसक्त ढ़ंग से कार्य नहीं किया। एमसीएस अधिनियम, 1960 की धारा 83 के अंतर्गत आरसीएस द्वारा की गयी जांच में बैंक के कार्यकलापों में गंभीर अनियमितताएं सामने आयी। बैंक की 31 दिसंबर 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए संवीक्षा से वित्तीय स्थिति में और अधिक गिरावट पायी गयी। उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-)₹495.50 लाख हुई जिससे जमाराशि का मूल्यह्रास 37.0% हुआ। सीआरएआर (-) 49.1% हो गया। सकल और निवल एनपीए सकल और निवल अग्रिमों के क्रमश: 56.5% तथा 50.5% हुआ। गिरती हुई वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 35 क के अंतर्गत बैंक को 30 मार्च 2012 के निदेश शबैंवि. केंका. बीएसडी1/ डी-76/ 12.22.282 / 2011-12 के माध्यम से 30 मार्च 2012 को कारोबार समाप्ति से समीक्षा के अधीन 6 महीनों के लिए सर्वसमावेशी निदेशाधीन रखा गया। 14 सितंबर 2012 के निदेश शबैंवि. केंका. बीएसडी1/ डी-9/ 12.22.282/2012-13 के माध्यम से निदेशों को और 6 महीनों के लिए 29 मार्च 2013 तक बढ़ाया गया। 9 अप्रैल 2012 के पत्र के माध्यम से बैंक द्वारा प्रस्तुत कार्ययोजना की जांच की गयी परंतु उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। उपर्युक्त गंभीर अनियमितताओं से यह पता चला की बैंक का कारोबार जमाकर्ताओं के हित में नहीं था। बैंक ने अधिनियम की धारा 11(1), 18, 20 ए, 22(3)(ए), 22(3)(बी) 24, 29 तथा 31 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया। 31 दिसंबर 2011 की वित्तीय स्थिति के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को 15 मई 2012 के पत्र शबैंवि.केंका.बीएसडी1.एससीएन. 70/ 12.22.282/ 2011-12 के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए 13 फरवरी 1988 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए तथा बैंक का समापन क्यों न किया जाए। 14 जून 2012 तथा 12 जुलाई 2012 तथा 19 जुलाई 2012 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी। चूकिं बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिति मे सुधार का दावा किया था इसलिए बैंक के दावों के सत्यापन के लिए बैंक की संवीक्षा करने का निर्णय लिया गया। तथापि 30 सितंबर 2012 की वित्तीय़ स्थिति के लिए की गयी संवीक्षा से बैंक की वित्तीय स्थिति में और अधिक गिरावट का पता चला। सीआरएआर(-) 52.7% तथा निवल संपत्ति (-) 420.49 लाख हो गयी। जमाराशि का मूल्यह्रास 28.9% हुआ। सकल और निवल एनपीए क्रमश: सकल और निवल अग्रिम के 63.9 और 40.8 हुआ। बैंक ने ₹590.62 लाख की संचित हानि दर्ज की। अत: भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से स्वामी समर्थ सहकारी बैंक लि., अक्कलकोट, सोलापुर , (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप स्वामी समर्थ सहकारी बैंक लि.,अक्कलकोट, सोलापुर , (महाराष्ट्र) को अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती सुचित्रा मौर्य, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क का विवरण नीचे दिया गया है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली, मुंबई-400018. टेलीफोन सं. :(022) 24932609; फैक्स सं. : (022) 24935495; ई-मेल अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1125 |