रिज़र्व बैंक ने दि भारत मर्कन्टाइल को-आपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) का लाइसेन्स रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने दि भारत मर्कन्टाइल को-आपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) का लाइसेन्स रद्द किया
19 अक्तूबर 2006
रिज़र्व बैंक ने दि भारत मर्कन्टाइल को-आपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) का लाइसेन्स रद्द किया
दि भारत मर्कन्टाइल को-आपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और आंध्र प्रदेश सरकार के परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के चलते जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश 17 अक्तूबर 2006 को कारोबार की समाप्ति पर जारी किया। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, आंध्र प्रदेश से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से रुपये 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियां वापस पाने का हकदार होता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 31 मार्च 2004 को बैंक की वित्तीय स्थिति संबंधी सांविधिक निरीक्षण में यह पाया कि बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35क (सहकारी समितियों पर यथालागू है) के अंतर्गत कई प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया जा रहा था और भारतीय रिज़र्व बैंक के विभिन्न दिशा-निर्देशों/अनुदेशों का भी उल्लंघन किया था। बैंक को 8 सितंबर 2004 के आदेश के अधीन बैंकारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35 क (सहकारी समितियों पर यथालागू) के अंतर्गत निदेशों के अधीन रखा गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 31 दिसंबर 2004 को बैंक की वित्तीय स्थिति संबंधी अगली सांविधिक निरीक्षण में बैंक की वित्तीय स्थिति में गिरावट पायी गयी और निदेशक बोर्ड द्वारा बैंक के कार्य में कुप्रबंधन भी पाया गया। इसके मद्देनज़र, भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुरोध पर 18 मई 2005 से बैंक के निदेशक बोर्ड का सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार द्वारा अधिक्रमण किया गया।
बैंक की 31 मार्च 2005 को वित्तीय स्थिति संबंधी अगली सांविधिक निरीक्षण में उसकी वित्तीय स्थिति में और अधिक गिरावट पायी गयी। बैंक की जमाराशियां पूरी तरह से समाप्त हो चुकी थी। इसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने 25 जुलाई 2006 को बैंक को एक नोटिस जारी किया जिसमें उनसे इस बात का कारण बताने के लिए कहा गया कि बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए उन्हें जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए।
कारण बताओं नोटिस के जवाब और यह संतोष कर लेने पर कि बैंक को पुनरूज्जिवित करने के कोई आसार नहीं है, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में पुनरूज्जिवित करने के उपयों की जांच करने के बाद बैंक का लाइसन्स रद्द करने का पराकोटी का निर्णय लिया। इसका लाइसेंस रद्द करने और समापन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार दि भारत मर्कन्टाइल को-आपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के जमाकर्ताओं की बीमाकृत राशि की अदायगी करने का कार्य शुरू किया जायेगा।
लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में दि भारत मर्कन्टाइल को-आपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में निर्धारित किये अनुसार जमाराशियां स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री एम.चंद्रशेखरन, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, हैदराबाद से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है:
डाक पता : 6-1-56, सेक्रेटरीएट मार्ग, सैफाबाद, हैदराबाद-500004; टेलीफोन नंबर : (040)23234623; फैक्स नंबर : (040)23235891; ई-मेल पता : ubdhyderabad@rbke.org.ken
अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/548