भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि भुसावल पिपल्स को-आपरेटिव बैंक लि., भुसावल, जलगांव (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि भुसावल पिपल्स को-आपरेटिव बैंक लि., भुसावल, जलगांव (महाराष्ट्र) का लाइसेंस रद्द किया
28 मार्च 2012 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि भुसावल पिपल्स को-आपरेटिव बैंक लि., भुसावल, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि भुसावल पिपल्स को-आपरेटिव बैंक लि., भुसावल, जलगांव (महाराष्ट्र) अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 22 मार्च 2012 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के निबंधक महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों के अंतर्गत ₹ 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 31 मार्च 1980 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत (इसके बाद "अधिनियम " के नाम से उल्लेख किया गया है) 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि सकल और निवल एनपीए, सकल और निवल अग्रिमों के क्रमश: 19.0% और 15.2% मूल्यांकित किए गए। वर्ष 2005-06 में मूल्यांकित कुल हानि (-) 34.15 लाख रुपये हुई। 31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के लिए किए गए निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर बैंक को परिचालनात्मक अनुदेश जारी किए गए। भारतीय रिज़र्व बैंक के 20 सितंबर 2006 के पत्र के माध्यम से वैयक्तिक/ समूह उधारकर्ता के लिए बैंक की एक्सपोजर सीमा 10% तथा पूंजी निधि के 25% तक की गयी। 5 फरवरी 2009 के पत्र द्वारा शोध्य ऋण के रूप में वर्गीकृत ऋणों के अलावा नए ऋण देने या ऋण का नवीकरण करने के लिए बैंक पर प्रतिबंध लगाया गया। 31 मार्च 2007; 31 मार्च 2008; 31 मार्च 2009; 31 मार्च 2010 की स्थिति के लिए किए गए निरीक्षणों से यह पता चला कि बैंक के वित्तीय मानदण्ड में और अधिक गिरावट जारी रही। अधिनियम की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक के सांविधिक निरीक्षण से बैंक की और अधिक खराब वित्तीय स्थिति तथा अन्य उल्लंघनों का पता चला। उसकी मूल्याकिंत निवल संपत्ति (-) 420.77 लाख रुपये थी तथा मूल्यांकित सीआरएआर (-) 13.3% था । जमाराशि का 27.1% तक मूल्यह्रास हुआ था। कुल और निवल एनपीए कुल और निवल अग्रिम के क्रमश: 88.5% और 69.7% हुआ। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के लिए बैंक की मूल्यांकित निवल हानि ₹ 264.64 लाख थी। बैंक ने 31 मार्च 2011 को ₹ 813.03 लाख की उपचित हानि दर्शाई। गिरती हुई वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बैंक को 24 अक्तूबर 2011 के निदेश शबैंवि. केंका. बीएसडी1/ डी-60/ 12.22.027 / 2011-12 के माध्यम से अधिनियम की धारा 35 ए के तहत बैंक की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते हुए 25 अक्तूबर 2011 से सर्वसमावेशी निदेशाधीन रखा गया। उपर्युक्त गंभीर अनियमितताओं से यह पता चला की बैंक का कारोबार जमाकर्ताओं के हित में नहीं था। बैंक ने अधिनियम की धारा 11(1), 22(3)(ए), 22(3)(बी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया था। 31 मार्च 2011 की वित्तीय स्थिति के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को 23 नवंबर 2011 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए 31 मार्च 1980 को जारी किया गया लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए तथा बैंक का समापन क्यों न किया जाए। 21 दिसंबर 2011 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी लेकिन उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। बैंक ने कोई विलयन प्रस्ताव या पुनरुज्जीवन /पुनर्गठन की योजना प्रस्तुत नहीं की थी। अत: भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेन्स रद्द किये जाने और समापन प्रक्रिया आरंभ करने से दि भुसावल पिपल्स को-आपरेटिव बैंक लि., भुसावल, जलगांव (महाराष्ट्र) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि भुसावल पिपल्स को-आपरेटिव बैंक लि., भुसावल, जलगांव (महाराष्ट्र) को अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती के. एस. ज्योत्सना, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, मुंबई से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क का विवरण नीचे दिया गया है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय, दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली, मुंबई-400018; टेलीफोन सं. : (022) 24920225; फैक्स सं. : (022) 24935495; ई-मेल आर. आर. सिन्हा प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1540 |