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रिज़र्व बैंक ने चेतक शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, परभणी, महाराष्ट्र का लाइसेन्स रद्द किया

24 मई 2007

रिज़र्व बैंक ने चेतक शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, परभणी, महाराष्ट्र का लाइसेन्स रद्द किया

चेतक शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, परभणी, महाराष्ट्र के अर्थक्षम नहीं रह जाने और महाराष्ट्र सरकार के साथ गहन परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 19 मई 2007 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के निबंधक, महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआइसीजीसी) से 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार है।

उक्त बैंक को बैंकिंग कारोबार शुरू करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा 3 अगस्त 1994 को लासेंस मंजूर किया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 31 मार्च 2005 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में उक्त बैंक के किए गए सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) के कई उपबंधों का अनुपालन नहीं कर रहा था तथा उसमें भारतीय ज़िर्व बैंक के तमाम दिशानिर्देशों/अनुदेशों का भी उल्लंघन किया था। बैंक की पूंजी तथा आरक्षित निधयों (नेटवर्थ) का वसूली योग्य मूल्य ऋणात्मक हो गया था। बैंक को 17 जुलाई 2006 के आदेश द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेशाधीन कर दिया गया था जिसमें उसे कोई नई देयता स्वीकार करने से प्रतिबंधित किया गया था तथा प्रति जमाकर्ता 1000 रुपये की जमाराशि का भुगतान करने तक सीमित कर दिया गया था।

रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक को 4 सितंबर 2006 को एक नोटिस जारी किया था जिसमें यह पूछा गया था कि कारण बताएँ कि क्यों न बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 के अंतर्गत बैंकिंग कारोबार करने के लिए उसे मंजूर किए गए लाइसेंस को रद्द कर दिया जाए। इस कारण बताओं नोटिस के जवाब में बैंक से प्राप्त उत्तर की जाँच की गई तथा पर्याप्त वसूलियाँ करने के संबंध में बैंक के दावे का सत्यापन करने के लिए 30 सितंबर 2006 की बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में एक नई संवीक्षा की गई थी। इस संवीक्षा से पुन: यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति में और भी गिरावट हो रही है। चूंकि बैंक की चुकता पूंजी तथा आरक्षित निधियों का वसूली योग्य मूल्य ऋणात्मक था और उसके पुनरुजीवित किए जाने की कोई संभावना नहीं थी इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसे पुनरुज्जीवीत किए जाने के सभी विकल्पों की समीक्षा करने के बाद अंतिम उपाय के रूप में लाइसेंस रद्द किया। लाइसेंस रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ होने के बाद चेतक शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, परभणी, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम के अनुसार बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाइसेंस रद्द किए जाने के फलस्परुप चेतक शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड, परभणी, महाराष्ट र बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत जमाराशियाँ स्वीकार करने और जमाराशियों की चुकौती करने सहित "बैंकिंग कारोबार" करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री आनंद प्रकाश, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, नागपुर से संपर्क कर सकते है। उनका संपर्क ब्यौरा नीचे दिया गया है:

डाक पता : अतिरिक्त कार्यालय भवन, ईस्ट हाइकोर्ट रोड, नागपुर-440001. टेलीफोन नंबर : (0712) 2538696; फैक्स नंबर : (0712) 2552896/2529457/2548370.

अजीत प्रसाद
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/1604

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