इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि हलियाल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,हलियाल, कर्नाटक अर्थक्षम नहीं रह गया है और कर्नाटक सरकार के परामर्श से उसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने फरवरी 26, 2009 को कारोबार की समाप्ति के बाद लाइसेंस के लिए उक्त बैंक के आवेदन को अस्वीकृत करने के आदेश जारी किए। सहकारी समितियों के निबंधक, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता सामान्य शर्तों के अंतर्गत निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। उक्त बैंक सहकारी समिति के रूप में 12 दिसंबर 1954 को पंजीकृत हुआ था और उसने 02 मार्च 1955 से बैंकिंग व्यवसाय करना प्रारंभ कर दिया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम को 1966 में सहकारी समितियों पर लागू किए जाने के बाद उक्त बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 के अंतर्गत बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए लाइसेंस हेतु 31 मार्च 1968 को भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन प्रस्तुत किया था। उक्त बैंक को 30 जून 1988 को "कमजोर बैंक" के रूप में वर्गीकृत किया गया था और उसे पुनर्वास के अधीन रखा गया था। चूँकि वह कई वर्ष बीत जाने के बाद भी लाइसेंस जारी करने संबंधी मानदंडों का अनुपालन नहीं कर रहा था और निकट भविष्य में भी उसे पूरा करने की कोई संभावना नहीं थी इसलिए अप्रैल 2002 में उक्त बैंक को सूचित किया गया था कि वह उक्त अधिनियम की परिधि से बाहर निकलने के लिए आवश्यक कदम उठाए। हालांकि समय-समय पर बैंक को पर्यवेक्षी अनुदेश जारी किए गए थे फिर भी उसमें कोई सुधार नहीं दिखा। इसके विपरीत उसकी स्थिति लगातार बिगड़ती गई। 31 मार्च 2007 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में किए गए बैंक के निरीक्षण से यह पता चला कि वर्ष के दौरान बैंक की वित्तीय स्थिति में काफी गिरावट हुई थी और उसे 23 जनवरी 2008 के निदेश के द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत निदेशाधीन रखा गया था। निदेशों में अन्य बातों के साथ बैंक द्वारा नई जमाराशियाँ स्वीकार करने तथा आगे और ऋण देने पर प्रतिबंध लगाते हुए उसे प्रति जमाकर्ता रु. 1000/- की जमाराशि की चुकौती करने तक सीमित कर दिया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद उसके लाइसेंस संबंधी आवेदन को अस्वीकृत कर दिया था। कारण बताओ नोटिस के उत्तर की जाँच की गई और यह पाया गया कि बैंक को पुनर्ज्जीवित करने के लिए उसके पास कोई ठोस कार्य योजना नहीं थी। स्थिति में सुधार के लिए किसी सक्षम कार्ययोजना के अभाव तथा अपेक्षित विनियामक निर्धारणों को हासिल न कर पाने के कारण बैंक को पुनर्ज्जीवित करने की कोई संभावना नहीं थी। इसलिए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में लाइसेंस के लिए उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदन अस्वीकृत करने का निर्णय लिया। बैंक के इस आवेदन को अस्वीकृत किए जाने और परिसमापन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही दि हलियाल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,हलियाल, कर्नाटक के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अधीन भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। लाइसेंस के लिए आवेदन अस्वीकृत किए जाने के परिणामस्वरूप दि हलियाल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,हलियाल, कर्नाटक पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू ) की धारा 5(ख) यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्रीमती अनिता भट्टाचार्य, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, बेंगलूरु से संपर्क कर सकते हैं। श्रीमती भट्टाचार्य का विवरण नीचे दिया गया है: डाक पता : 10/3/8, नृपतुंगा मार्ग, बंगलूर-560001, टेलीफोन (080) 22291696, फैकस (080) 22293668 / 22210185; ई-मेल भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें। |