भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि इन्दिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, छत्तीसगढ़ राज्य का लाइसेंस रद्द किया जाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि इन्दिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, छत्तीसगढ़ राज्य का लाइसेंस रद्द किया जाना
8 अक्तूबर 2007
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि इन्दिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी
बैंक मर्यादित, छत्तीसगढ़ राज्य का लाइसेंस रद्द किया जाना
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि इन्दिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, छत्तीसगढ़ राज्य अर्थक्षम नहीं रह गया है और मध्य प्रदेश सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनरुज्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 3 अक्तूबर 2007 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के निबंधक, कर्नाटक से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।
31 मार्च 2006 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक के कार्यकलाप में गंभीर अनियमितताएँ हैं। बैंक की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो चुकी थी। इसकी असंतोषप्रद वित्तीय स्थिति पर विचार करते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35क की उप धारा (1) के अनुसार बैंक पर 2 अगस्त 2006 के आदेशानुसार निर्देश लागू किए गए। पंजीयक, सहकारी समितियाँ, छत्तीसगढ़ राज्य ने 22 नवंबर 2006 को बैंक के निदेशक मंडल को अधिक्रमित कर दिया।
22 अगस्त 2006 तक की वित्तीय स्थिति के संबंध में किए गए बैंक के निरीक्षण से यह पता चला कि इसकी वित्तीय स्थिति में गंभीर कमियाँ/अनियमितताएँ और गिरावट हुई है। इसके बाद रिज़र्व बैंक ने 22 अगस्त 2007 को बैंक को एक कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए यह पूछा कि बैंकिंग कारोबार करने के लिए दिए गए लाइसेंस को क्यों नहीं रद्द कर दिया जाए। चूंकि बैंक के पास इसे पुनरुज्जीवित करने के लिए कोई अर्थक्षम योजना नहीं थी और इसे पुनरुज्जीवित किए जाने की कोई आशा नहीं थी, रिज़र्व बैंक ने इसे पुनरुज्जीवित किए जाने के सभी विकल्पों की जाँच करने के बाद जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक के लाइसेंस को रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द होने तथा परिसमापन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही दि इन्दिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, छत्तीसगढ़ राज्य के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम अधिनियम (डीआईसीजीसी एक्ट) के अनुसार बीमाकृत राशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।
लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि इन्दिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित, छत्तीसगढ़ राज्य पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) में यथापरिभाषित "बैंकिंग कारोबार" करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उनकी चुकौती भी शामिल है।
इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री यू.आर.देउस्कर, सहायक महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, रायपुर से संपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्योरा निम्न प्रकार है :
डाक पता: भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, शुभाशीष परिसर, 54/949, सत्या प्रेम विहार, सुंदर नगर, रायपुर, छत्तीसगढ़। टेलीफोन सं. (0771) 2242330, फैक्स सं. (0771) 2242323
अजीत प्रसाद
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/485